सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखने से संकट दूर होते हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन किस दुर्लभ योग में पूजा करने से मनोकामना पूरी होगी?
पंचांग के अनुसार, 15 सितंबर को प्रदोष व्रत है। इस दिन रविवार है, जिसके चलते इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन व्रत रखने से मनोकामना पूरी होती है।
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 15 सितंबर को रात 01 बजकर 42 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 16 सितंबर को रात 12 बजकर 19 मिनट पर होगा।
रवि प्रदोष व्रत के दिन पूजन के लिए शुभ समय संध्याकाल 06 बजकर 26 मिनट से रात 08 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
रवि प्रदोष व्रत पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 15 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 16 सितंबर को सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
रवि प्रदोष व्रत पर शाम 06 बजकर 12 मिनट तक शिववास रहेगा। इस दौरान शिव जी कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस समय अभिषेक करना शुभ होता है।
प्रदोष व्रत के दौरान पूजा करते समय शिव जी को श्वेत चंदन फूल, भांग और बेलपत्र आदि अर्पित करें। इससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
रवि प्रदोष व्रत के दौरान सुकर्मा योग में पूजा करने से व्यक्ति को कार्य में सफलता मिलती है। इसके साथ ही, बिगड़े हुए काम होने लगते हैं और व्यक्ति तरक्की करता है।
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