अक्सर बाहर जाने पर लोग दही-चीनी का सेवन करते हैं, ऐसा माना जाता है कि किसी भी काम से पहले दही-चीनी का सेवन करने से कार्य में सफलता मिलती है।
इसका धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्व होता है, दही का संबंध चंद्रमा से होता है, ऐसे में दही-चीनी खाकर बाहर जाने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है।
चंद्रमा की स्थिति मजबूत होने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है और मन प्रसन्न रहता है। इसके साथ ही तनाव भी दूर होता है।
दही-चीनी का सेवन करने से मन-मस्तिष्क शांत रहता है, जिससे कार्यों में मन लगता है और प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
वहीं किसी यात्रा पर जाने से पहले भी दही-चीनी का सेवन किया जाता है, ऐसा करने से यात्रा मंगलमय होती है।
बिहार के मिथिलांचल में दही-चीनी खाने की परंपरा रही है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य से पहले दही-चीनी का सेवन किया जाता है।
वहीं इसका सेवन करने से उदर यानी पेट को ठंडक पहुंचती है और पाचन भी दुरुस्त रहता है। इसके साथ ही शरीर में ग्लूकोज लेवल नियंत्रित रहता है।
वहीं मिथिलांचल की शादी में वर-वधू के बीच दही का आदान-प्रदान किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि इससे वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।
दही-चीनी का धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्व है, धर्म और आध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com