सनातन धर्म में विवाहित महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं। यह सुहाग की निशानी मानी जाती है। भारतीय संस्कृति में सिंदूर लगाने की परंपरा बहुत ही पुरानी है।
रामायण से लेकर महाभारत काल तक सिंदूर का जिक्र मिलता है। विवाह के समय दूल्हे द्वारा सिंदूर से दुल्हन की मांग भरी जाती है।
शास्त्रों में सिंदूर लगाने के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसे में आइए सिंदूर लगाने के धार्मिक महत्व के बारे में जानते हैं।
मां सीता रोजाना मांग में सिंदूर भरती थीं। एक बार हनुमान जी ने मां सीता से पूछा कि मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं, तो उन्होंने कहा कि इससे भगवान श्रीराम प्रसन्न होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है।
तब हनुमान जी ने सोचा कि यदि मां सीता जी की मांग में जरा-सा सिंदूर देखकर भगवान राम प्रसन्न होते हैं, तो मेरे पूरे शरीर पर सिंदूर देखकर कितना प्रसन्न होंगे।
जिसके बाद हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर सभा में चले जाते हैं। भगवान श्रीराम उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न होते हैं। तब से सिंदूर लगाने की प्रथा चली आ रही है।
पत्नी के द्वारा मांग में सिंदूर लगाने से पति को संकट पर कोई संकट नहीं आता है और पति-पत्नी के बीच रिश्ते मजबूत बने रहते हैं। इसके अलावा घर में सदैव सुख-शांति बनी रहती है।
शास्त्रों के अनुसार, जो महिलाएं मांग में लंबा सिंदूर लगाती हैं, उनके पति को अधिक मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
ऐसा कहा जाता है कि सुहागन महिलाओं को हमेशा नाक की सीध में सिंदूर लगाना चाहिए। इसी तरह की और खबरें पढ़ने के लिए विजिट करें jagran.com