हाथ में करंट जैसा क्यों लगता है?


By Farhan Khan27, Apr 2024 01:33 PMjagran.com

इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन

दुनिया की हर चीज एटम से मिलकर बनी है। जिसमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं। हमारे शरीर में भी इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन पाए जाते हैं।

अनियंत्रित या डिसबैलेंस होना

अधिकतर समय हमारे में शरीर में इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन बराबर होते हैं, लेकिन कभी-कभार ये अनियंत्रित या डिसबैलेंस हो जाते हैं।

इलेक्ट्रॉन्स की संख्या बढ़ना

साइंस के मुताबिक जब किसी चीज या इंसान में इलेक्ट्रॉन्स की संख्या बढ़ जाती है तो उसपर निगेटिव चार्ज भी बढ़ जाता है।

पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स आकर्षित करना

ये निगेटिव इलेक्ट्रॉन्स किसी व्यक्ति अथवा वस्तु में मौजूद पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक

वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस वक्त नेगेटिव इलेक्ट्रॉन, पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।

करंट जैसा महसूस होना

ऐसे में उस वक्त हम किसी व्यक्ति अथवा वस्तु को छूते हैं तो करंट जैसा महसूस होता है। इसे स्टैटिक एनर्जी भी कहते हैं।

खराब इंसुलेटिंग मैटेरियल्स

जो भी सामान खराब इंसुलेटिंग मैटेरियल की कैटेगरी में आती हैं, जैसे वुलेन कपड़े, नायलॉन, पॉलिएस्टर, पालतू फर और इंसान के बाल भी खराब इंसुलेटिंग मैटेरियल्स, जिनके छूने से करंट का एहसास हो सकता है।

स्वास्थ्य के लिए कम नुकसानदायक

स्टैटिक एनर्जी से स्वास्थ्य पर ज्यादा खतरा नहीं होता है। इससे कोई बड़ी हानि भी नहीं होती है। ज्यादातर केस में आपको चंद सेकेंड के लिए एहसास भर होता है।

ऐसे में आप यह जान गए होंगे कि करंट क्यों लगता है। लाइफस्टाइल से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com

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