दिवाली पर आपने हमेशा देखा होगी कि मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा एक साथ ही की जाती है। दरअसल, इसके पीछे गहरी धार्मिक और व्यावहारिक मान्यताएं जुड़ी हैं। आइए जानते हैं इस बारे में।
लक्ष्मी जी धन की अधिष्ठात्री देवी हैं, जबकि गणेश जी बुद्धि और विवेक के देवता। धन का सही उपयोग तभी संभव है जब बुद्धि साथ हो।
गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा गया है। हर शुभ कार्य की शुरुआत गणपति से होती है, तभी वह कार्य मंगलमय होता है।
गणेश जी विघ्नहर्ता माने जाते हैं। लक्ष्मी पूजन से पहले गणेश पूजन करने से हर बाधा दूर होती है और लक्ष्मी पूजन सफल होता है।
लक्ष्मी जी सुख-समृद्धि देती हैं और गणेश जी घर-परिवार में शांति और सौहार्द बनाए रखते हैं। दोनों की पूजा से गृहस्थ जीवन संतुलित रहता है।
मान्यता है कि केवल लक्ष्मी जी की पूजा से धन स्थायी नहीं रहता। गणेश जी के साथ पूजा करने पर धन के साथ स्थायित्व और समृद्धि मिलती है।
शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि दीपावली या किसी भी लक्ष्मी पूजन में गणेश जी की आराधना अनिवार्य है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
गणेश जी विवेक और आत्मज्ञान का आशीर्वाद देते हैं और लक्ष्मी जी भौतिक सुख-संपत्ति का। दोनों की पूजा से भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन आता है।
इस लेख में बताए गए लाभ और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए है। ऐसी ही तमाम खबरों को पढ़ते रहने के लिए जुड़े रहें jagran.com के साथ। All Images Credit: Canva