हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व होता है। यह व्रत हर महीने में 2 बार रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। सोमवार के दिन पड़ने के कारण प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 15 सितंबर को शाम 6 बजकर 12 मिनट पर हो रही है और इसका समापन 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर होगा।
ऐसे में सोम प्रदोष व्रत 16 सितंबर को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
प्रदोष व्रत का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
प्रदोष व्रत के दिन सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। यह योग बहुत शुभ माना जाता है, इस योग में शिव जी की पूजा करने से मनचाहे फलों की प्राप्ति होती है।
इसके साथ ही इस दिन शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग में शिव जी की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन व वस्त्रों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं।
सोम प्रदोष व्रत 16 सितंबर को पड़ रहा है। धर्म और अध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें Jagran.Com