प्रदोष व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है।
शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है।
प्रदोष व्रत का पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनि देव की पूजा करें। इससे मंगल फलों की प्राप्ति होती है।
शनि प्रदोष व्रत के दिन शमी के पौधे की पूजा करें। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं।
नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम । छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।। इस मंत्र का जाप करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
ऊँ शन्नोदेवीर भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः। प्रदोष व्रत के दिन इस मंत्र का जाप करने से कार्यों में सफलता मिलती है।
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।। पूजा के समय इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शनि प्रदोष व्रत के दिन इन उपायों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धर्म और अध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें JAGRAN.COM