मोदी 3.0 की सरकार का बजट सत्र 22 जुलाई से शुरु हुआ है और 23 जुलाई यानी आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार 7वीं बार बजट पेश किया।
बजट में सरकार की आय और व्यय का ब्यौरा पेश किया जाता है और सभी सेक्टर के लिए कुछ राशि दी जाती है, जिससे उस सेक्टर का साल भर का कामकाज चलता रहे।
बजट हर साल में एक बार पेश किया जाता है, लेकिन अगर किसी साल बजट पेश न हो पाए या न किया जाए, तो इससे देश पर क्या असर पड़ेगा। इसके बारे में चर्चा करेंगे।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट का प्रावधान किया गया है। इसके तहत हर साल वित्त मंत्री बजट पेश करती हैं।
बजट को हर साल पेश करने के अलावा समय पर पेश करना भी जरूरी होता है। अगर सरकार बजट पेश नहीं कर पा रही है, तो यह सरकार के लिए संकट की स्थिति होती है।
इस स्थिति में सरकार का चलना बहुत मुश्किल होता है। सरकार अपना विश्वास मत खो देती है और इस स्थिति में फिर से चुनाव की स्थिति बन सकती है।
वित्तमंत्री द्वारा पेश किए गए बजट में तीन भाग होते हैं, जिनमें कंसोलिडेटेड फंड, इमरजेंसी फंड और लोक लेखा निधि शामिल होती है।
संविधान के अनुच्छेद- 266 में कंसोलिडेटेड फंड के बारे में जानकारी मिलती है और अनुच्छेद- 267 में इमरजेंसी फंड का विवरण मिलता है।
लोक लेखा निधियों में भविष्य निधि और लघु बचत शामिल होती है। ऐसी ही अन्य खबरों के लिए बने रहें हमारे साथ Jagran.Com पर