आचार्य चाणक्य की नीतियां बरसों से लोगों को सही पथ पर चलने की प्रेरणा देती आ रही है। चाणक्य ने ऐसी कई बातें कही है जो आज के समय में सही साबित होती है।
इन अपनाकर सही पथ और जीवन में सफलता मिलने में मदद मिलती है। आचार्य चाणक्य ने रिश्तों को लेकर भी कुछ बातें कही है।
कई बार ऐसा होता है हम किसी रिश्ते को संभाल नहीं पाते और किस्मत को दोष देने लगते हैं, लेकिन रिश्ते टूटने का कारण व्यक्ति खुद होता है।
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आचार्य चाणक्य के अनुसार रिश्ते टूटने की क्या-क्या वजह होती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
आचार्य चाणक्य के अनुसार जब मन में वहम या शक का बीज उगने लगे तो सामने वाला व्यक्ति कितनी भी कोशिश करें रिश्ता बचा नहीं पाता।
जिद और अहंकार दोनों ही रिश्तों के सबसे बड़े दुश्मन है। अहंकारी व्यक्ति सामने वालों की बातों को तवज्जो नहीं देते।
ऐसा व्यक्ति सामने वाले को अपने से कम ही समझता है। वहीं जिद भी रिश्ते खराब करती है। अपनी जिद की वजह से अक्सर व्यक्ति सामने वाले को खो देता है।
रिश्ते दो लोगों के बीच प्यार और विश्वास से चलते हैं। रिश्तों में मुकाबला नहीं होना चाहिए। मुकाबला करने से झगड़े बढ़ने लगते हैं।
अगर आपके रिश्ते में भी खटास आ रही है तो आचार्य चाणक्य की इन बातों पर ध्यान दें। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com