हिन्दू धर्म में किसी से मिलते या विदा लेते समय एक-दूसरे को सम्मान देने के लिए हाथ जोड़कर नमस्कार किया जाता है।
नमस्ते के माध्यम से एक-दूसरे के प्रति विनम्रता भी प्रकट की जाती है। आइए जानते हैं कि इससे व्यक्ति को अपने जीवन में और क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं।
नमस्कार करते समय इडा और पिंगला नाड़ी आपस में मिल जाती है, जिससे शरीर में आध्यात्मिकता का भी विकास होता है।
किसी को प्रणाम करने पर न सिर्फ आत्मीयता बढ़ती है बल्कि इससे आपके रिश्तों में भी मजबूती आती है।
जब आप किसी व्यक्ति को हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं, तो सामने वाला व्यक्ति आपको ज्यादा समय के लिए याद रख पाता है।
दोनों में संतुलन दोनों हाथों को आपस में जोड़कर नमस्कार करने का अर्थ है कि इससे आपके धर्म और दर्शन दोनों में संतुलन बना रहता है।
जब हम दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं, तो इससे हमारे शरीर में एक चेतना आती है, जिससे हमारी याददाश्त भी बढ़ती है।
माना जाता है कि नमस्कार मुद्रा से क्रोध पर नियंत्रण करने की क्षमता भी बढ़ती है, जिससे व्यक्ति का स्वभाव और अधिक विनम्र हो जाता है।
ऐसे में आप यह जान गए होंगे कि नमस्कार करना कितना लाभदायक होता है। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com