सनातन धर्म में मेष संक्रांति का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने का विधान होता है। आइए जानते हैं कि मेष संक्रांति कब है?
पंचांग के अनुसार, 14 अप्रैल 2025 को मेष संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में आने वाले संकट दूर होने लगते हैं।
पंचांग के अनुसार, 14 अप्रैल को पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट तक है।
सूर्य देव 14 अप्रैल को देर रात 03 बजकर 21 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। वह इस राशि में 14 मई तक रहेंगे।
इस दिन दोपहर 11 बजकर 56 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त का योग बन रहा है। इस योग में पूजा-पाठ करना शुभ होता है।
मेष संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा करते समय जल अर्पित करें। इस दौरान जल में लाल पुष्प, गुड़, रोली और अक्षत डाल लें।
मेष संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देते समय ॐ सूर्याय नमः मंत्र बोलना चाहिए। इसके अलावा, सूर्य चालीसा या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
मेष संक्रांति पर इस विधि से पूजा करने से कार्य में सफलता के योग बनते हैं। इसके साथ ही, करियर में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं।
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