महाभारत का युद्ध इतिहास का सबसे भीषण युद्ध रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि महाभारत में अर्जुन को क्यों अलग-अलग नाम मिले? आइए इसके बारे में जानें।
अर्जुन को महाभारत में सबसे पहले पार्थ नाम मिला। अर्जुन को पार्थ नाम अपनी माता कुंती के कारण मिला।
कुंती को पृथा नाम से भी जाना जाता है। इसी वजह से अर्जुन को पार्थ कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ पृथा का पुत्र है।
अर्जुन व उनके अन्य भाइयों को पाण्डु पुत्र के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पांडव, पाण्डु की संतान थे।
अर्जुन को धनंजय के नाम से भी जाना जाता है। उनको यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वह अपने बल पर कई देशों को जीतकर धन लाए थे।
अर्जुन को धनंजय नाम इस कारण की वजह से दिया गया। महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अहम भूमिका निभाई।
चौसर के खेल में हारने के बाद पांडवों और द्रौपदी को 13 साल का वनवास और 1 साल का अज्ञातवास बिताना पड़ा था। इसमें अर्जुन भी शामिल थे।
इस दौरान राजकुमार अर्जुन ने विराट नगर में एक नृत्य शिक्षक का वेश धारण किया। इस वेश में उन्हें बृहन्नला के नाम से जाना गया।
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