रमजानुल मुबारक रहमत, बरकत और नेकियां कमाने वाला महीना हैं। जिस मुसलमान को यह महीना मिल जाए, उसपर अल्लाह की रहमत है।
जब रमजान आता है, तो जन्नत के सारे दरवाजे खोल दिए जाते हैं। जहन्नम के सभी दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। रमजान के महीने में शैतान को भी बंद कर दिया जाता है।
आज हम आपको मुफ्ती सईदुज्जफर के जरिए यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर रोजे का असली मतलब क्या होता है? आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
रोजा सिर्फ भूखे रहना नहीं है, बल्कि अपनी ख्वाहिशों को नियंत्रित करना होता है। बुराइयों से बचने के साथ ही अपने हर उस गलत काम से बचना है, जिससे अल्लाह नाराज होता है।
मुसलमानों को इस मुकद्दस महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत में मशगूल रहते हुए कुरान ए पाक की तिलावत करना चाहिए।
रमजान शुरू होते ही तरावीह की नमाज भी शुरू हो गई है। इस नमाज के पढ़ने का भी सवाब है, इसलिए मुसलमानों को रोजा रखने के साथ ही तरावीह की नमाज भी पढ़ना चाहिए।
अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है। अल्लाह रोजे का इनाम खुद देगा। यह कमजोर लोगों की मदद का महीना है।
इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com