हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव जी की पूजा कई रूपों में की जाती है। ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग दोनों ही भगवान शिव के स्वरूप एवं प्रतीक हैं।
आज हम आपको बताएंगे कि आखिर शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर होता है? आइए इसके बारे में विस्तार से जानें, ताकि आपको सही जानकारी हो सकें।
ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यहां स्वयं भगवान शिव ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे। इसके बारे में पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण में विस्तार से बताया गया है।
शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीकात्मक रूप है, जो शिव के निराकार स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। शिवलिंग कई प्रकार के होते हैं।
अगर आपके घर में शिवलिंग है, तो ऐसे में शिवलिंग को एक थाली में रखकर जल चढ़ाएं और इस जल को घर में लगे पौधों में डाल दें। इससे आपके घर में समृद्धि आएगी।
घर में आपको छोटा ही शिवलिंग रखना चाहिए। ज्यादा बड़ा शिवलिंग अच्छा नहीं माना जाता। बड़े शिवलिंग केवल मंदिरों में ही फलदाई माने जाते हैं।
गुजरात के सौराष्ट्र जिले में समुद्र के किनारे मौजूद भगवान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की गणना सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान पर की जाती है।
मध्य प्रदेश उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग की उपासना की जाती है। इससे जीवन में डर का खात्मा हो जाता है।
इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com