इस साल 11 मार्च से रमजान महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस्लाम धर्म में रमजान को सभी महीनों में सबसे पाक और इबादत का महीना माना जाता है।
इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने के बाद रमजान की शुरुआत होती है। रमजान के पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं।
इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा काफी पुरानी है और सालों से लोग रोजा रखते आ रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोजा रखने की परंपरा कब शुरू हुई? आइए इसके बारे में जानें।
इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। सबसे पहले मक्का-मदीना में कुछ विशेष तारीखों में रोजे रखे जाते हैं।
लेकिन ये रोजा एक महीने नहीं बल्कि आंशिक रूप से रखे जाते हैं क्योंकि तब इस्लाम में रोजा फर्ज नहीं था। कोई आशूरा रोजा रखता था तो कोई चंद्र महीने की 13, 14 और 15 तारीख को रोजा रखता था।
फिर पैगंबर मोहम्मद के मक्का-मदीना जाने के बाद वर्ष 624 में कुरान की आयत के जरिए रोजा को फर्ज में शामिल किया गया।
इस तरह से रमजान के महीने में रोजा रखना मुसलमानों के लिए अनिवार्य हो गया। पैगंबर मुहम्मद को अल्लाह का दूत माना जाता है।
ऐसे में आप यह जान गए होंगे कि मुसलमान कब से रोजे रखते आ रहे हैं। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com