मृत्यु एक ऐसा सत्य है जिसे कोई भी नहीं टाल सकता। ऐसे में गरुड़ पुराण में मृत्यु और उसके बाद की स्थिति के बारे में बताया गया हैं।
इसमें यह भी बताया गया है कि व्यक्ति के किन कर्मों पर उसे नरक की प्राप्ति होती है और उसे किस प्रकार का दंड झेलना पड़ता है।
गरुड़ पुराण में कुल 84 लाख योनियों के बारे में बताया गया है। इसमें पशु-पक्षी, वृक्ष योनि, कीड़े-मकोड़े और मनुष्य योनि आदि शामिल हैं।
मृत्यु के बाद आत्मा जब शरीर छोड़ने के बाद भी उसमें भूख, प्यास, क्रोध, द्वेष और वासना आदि का भाव नहीं जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा मृत्यु के देवता यमराज के पास जाती है। यमराज ही व्यक्ति के कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं।
जीवन में किए गए बुरे कर्मों के लिए आत्मा को नरक की यातनाएं भी झेलनी पड़ती हैं। कर्मों के आधार पर अलग-अलग कर्मों के लिए अलग-अलग दंड निर्धारित किए गए हैं।
जीवन में किए कर्मों के आधार पर ही इस बात का निर्धारण भी किया जाता है कि आत्मा को अगला जन्म किस योनि में मिलेगा।
यह व्यक्ति के कर्मों पर ही निर्धारित करता है कि मृत्यु के बाद आत्मा किस योनि में जन्म लेगी। वहीं, बुरे कर्म करने वाले मनुष्यों की आत्मा मृत्यु लोक में ही भटकती रहती है।
अगर किसी की मृत्यु प्राकृतिक तरीके से नहीं हुई अर्थात दुर्घटना, हत्या या आत्महत्या आदि के कारण मृत्यु होती है तो आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है।