खरमास की शुरूआत 16 दिसंबर से हो रही है और इसका समापन मकर संक्रांति के दिन होगा।
हिन्दू धर्म में पौष मास का विशेष महत्व होता है। यह महीना भगवान सूर्य की उपासना के लिए उत्तम माना गया है।
खरमास में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है, खरमास में कुछ कार्यों की मनाही है। इससे व्यक्ति को लम्बे समय तक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, खरमास में अधिक सतर्क रहना चाहिए। इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार इत्यादि पर पूर्ण रूप से पाबंदी लग जाती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को खरमास में कोई नया व्यापार शुरू नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि धनु संक्रांति के कारण व्यक्ति को लाभ की बजाय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति को मलमास में नए चीजें जैसे मकान, वाहन, कपड़े, जूते आदि की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से वास्तु दोष बढ़ता है और लम्बे समय तक नुकसान उठाना पड़ता है।
खरमास में भगवान, गुरू, माता-पिता, गाय व स्त्री की निंदा भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने पर आपके जीवन में शारीरिक तौर पर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।