जनेऊ पहनते समय जरूर फॉलो करें ये नियम


By Farhan Khan24, Apr 2024 07:00 AMjagran.com

तीन धागों वाला एक सूत्र

जनेऊ जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है, जिसे संस्कृत में यज्ञोपवीत कहा जाता है। हिंदू धर्म में जनेऊ संस्कार को जरूरी माना जाता है।

धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

हिंदू शास्त्रों में भी जनेऊ के कई लाभ बताए गए हैं। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है बल्कि, वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है।

जनेऊ से जुड़े नियम

वहीं वास्तुशास्त्र में व्यक्ति द्वारा जनेऊ से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी माना गया है। आइए इन नियमों के बारे में विस्तार से जानें।

बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहना जाना

जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है, जिसे अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहना जाता है। यज्ञोपवीत के एक तार में तीन-तीन तार होते हैं।

होते हैं नौ तार

इस तरह जनेऊ में कुल नौ तार होते हैं, जो शरीर के नौ द्वार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, इसमें लगाई जाने वाली पांच गांठ ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक मानी गई हैं।

पवित्रता बनी रहें

जनेऊ से जुड़े नियमों का भी विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।

कान से उतारना

मल-मूत्र विसर्जन के पूर्व दाहिने कान पर चढ़ा लें और हाथों को धोने के बाद ही इसे कान से उतारना चाहिए।

जनेऊ का तार टूटना

यदि जनेऊ का कोई तार टूट गया है, तो इसे बदल लें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि जनेऊ को तभी उतारना चाहिए जब आप नया यज्ञोपवीत धारण कर लें।

अगर आप भी जनेऊ धारण करते हैं तो इन नियमों को खासतौर से ध्यान रखें। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com

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