पूजा-पाठ को भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम माना जाता है। इस दौरान दीपक जलाना, आरती करना और भोग लगाना भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
इन सभी गतिविधियों के बिना कोई भी पूजा या अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। देवी-देवताओं को भोग लगाने के बाद उसी भोजन को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं।
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि भोग लगाते समय कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए। आइए इसके बारे में जानें।
शास्त्रों में पूजा-पाठ से जुड़े कई नियम बताए गए हैं। वहीं, प्रसाद के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।
ऐसे में अगर आप भगवान को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करेंगे तो आपको पूजा का कई गुना लाभ मिल सकेगा।
भोग हमेशा सात्विक और साफ-सुथरे तरीके से बनाना चाहिए। अगर आप देवी-देवताओं को उनका पसंदीदा भोग अर्पित करेंगे, तो आपको अधिक लाभ मिलेगा।
भोग लगाने के दौरान भोजन पात्र का ध्यान रखना भी जरूरी है। भोग के लिए हमेशा सोना, चांदी, तांबा या पीतल का पात्र ही चुनें। इसके अलावा मिट्टी या लकड़ी के बर्तन में भी भोग चढ़ाया जा सकता है।
भोग लगाने के लिए कभी भी एल्यूमीनियम, लोहा, स्टील या प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भोग लगाने के बाद इसे कुछ देर के लिए मंदिर में ही छोड़ दें।
ऐसे में मंदिर में भोग चढ़ाते समय इन बातों का ध्यान रखें। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com