सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं कि इस दौरान वट वृक्ष की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए?
पंचांग के अनुसार, 26 मई 2025 को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 27 मई को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर होगा।
इस दौरान विधि-विधान से बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दौरान पेड़ के पास कई चीजें अर्पित करके दीपक जलाया जाता है।
वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की 7, 11 या 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इससे पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री व्रत पर पूजा करते समय अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते, पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते मंत्र का जाप करना चाहिए।
वट सावित्री व्रत के दिन सुहाग का सामान, वस्त्र, फल, अनाज, काले चने और शहद का दान करना चाहिए। इससे धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
इस व्रत के दौरान विधि-विधान से बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, परिवार में सुख-समृद्धि का भी आगमन होता है।
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