रिश्ते हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं, जिन्हें बनाना और संभालना एक आर्ट होता है। अगर आप समय रिश्तों पर ध्यान दें, तो टूटकर बिखर जाते हैं।
अगर आपके रिश्ते में भी दरार आ रही है, तो ऐसे में आपको गीता से जुड़ी इन बातों को फॉलो करना चाहिए। आपके रिश्ते में फिर से मिठास आ जाएगी।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेश निहित है। इसमें जीवन के सफलता से लेकर व्यक्ति के रिश्तों का सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है।
श्री कृष्ण जी के मुताबिक, रिश्ते में सबसे ज्यादा दरार आने के चांस वहां होते हैं, जहां मोह आ जाता है और मोह ऐसी चीज होती है, जो कभी खत्म नहीं होती।
रिश्ते को जिंदगी भर चलाने के लिए जरूरी है कि दोनों मोह का त्याग करें अर्थात अपने- अपने स्वार्थ का खात्मा करें। यही रिश्ते में आई दरार को भर सकता है।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि रिश्ते की बुनियाद एक-दूसरे को समझने पर टिकी होती है। ऐसे में व्यक्ति को पहले खुद को समझना चाहिए।
व्यक्ति अगर खुद को समझ लेता है, तो ही वह सामने वाले को समझ सकता है। यही चीज एक रिश्ते को मजबूत बनाती है और उसमें मिठास लाती है।
जिस रिश्ते में एक-दूसरे का सम्मान नहीं होता। वहां कभी प्यार नहीं होता और ऐसे रिश्ते को जितना भी संभाल लें। वह पल भर ही टूटकर बिखर जाता है।
अगर आप रिश्ते को बरकरार रखना चाहते हैं, तो सामने वाले व्यक्ति का सम्मान करें। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com