रत्न की खरीदारी से पहले ज्योतिषाचार्य से जरूर मदद लें। गलत रत्न धारण करने से कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। जिससे जातक को हानि पहुंच सकती है।
बार-बार रत्न को निकालने से बचना चाहिए। ऐसा करने से रत्न का प्रभाव कम हो जाता है और जिस समस्या से छुटकारा पाने के लिए इसे धारण किया है वह भी सिद्ध नहीं हो पता है।
रत्न धारण करने से पहले एक बार उसे अच्छी तरह परख लें और यह देखें कि क्या रत्न कहीं से टूटा हुआ तो नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि खंडित रत्न को धारण करना अशुभ माना गया है।
ज्योतिषाचार्य द्वारा बताए गए शुभ समय पर ही व्यक्ति को रत्न छूना चाहिए। अन्य किसी समय पर रत्न का स्पर्श करने से उसका प्रभाव खत्म हो जाता है।
किसी दूसरे व्यक्ति का रत्न भूलकर भी धारण ना करें और न ही किसी अन्य व्यक्ति को अपना रत्न पहनने के लिए दें। रत्न शास्त्र में इसे अशुभ माना गया है।
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार व्यक्ति को अमावस्या, ग्रहण अथवा संक्रान्ति के दिन रत्न धारण नहीं करना चाहिए। इससे ग्रह दोष का खतरा बढ़ जाता है और जातक पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
सभी रत्न एक खास धातु के साथ ही सक्रीय होते हैं। इसलिए रत्न के साथ-साथ धातु का ध्यान रखना भी बहुत आवश्यक है। ऐसा न करने पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।