8 साल की उम्र में बैडमिंटन थामने से लेकर कॉमनवेल्थ में गोल्ड तक का सफर...


By Ruhee Parvez08, Aug 2022 08:02 PMjagran.com

पीवी सिंधू ने जीता गोल्ड

सिंधू ने आखिरकार कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना पहला गोल्ड जीत ही लिया। उन्होंने फाइनल मुकाबले में कनाडा की मिशेल ली को सीधे सेटों से हराया।

कॉमनवेल्थ का सफर

सिंधू के पास अब मेडल का पूरा सेट है! 2014 के कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने ब्रॉन्ज़ जीता था, उसके बाद 2018 में सिल्वर और अब बर्मिंघम में गोल्ड अपने नाम किया।

दुनियाभर में नाम कमाया

लगातार शानदार प्रदर्शन करने वाली सिंधू अब दुनियाभर की जानी-मानी बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। बर्मिंघम में जीत का परचम लहराने से कुछ ही दिन पहले उन्होंने सिंगापुर ओपन भी जीता था।

ऐसा रहा है सफर

उनका जन्म 5 जुलाई 1995 में हैदराबाद में हुआ था। माता-पिता प्रोफेशनल वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, लेकिन पीवी सिंधू के दिल को बैडमिंटन ने जीत लिया।

गोपीचंद से हुईं प्रेरित

पुलेला गोपीचंद से प्रभावित और प्रेरित सिंधू ने बैडमिंटन थामा। महज 8 साल की उम्र से शुरू हुए इस सफर में उन्होंने कई उपलब्धियां अपने नाम कीं।

रियो ओलंपिक में रचा इतिहास

सिंधू भारत की तरफ से ओलंपिक खेलों में महिला बैडमिंटन सिंगल्स में रजत पदक जीतने वाली एक मात्र खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2016 रियो ओलिंपिक में ये कमाल किया था और इतिहास रच दिया था।

ओलंपिक में जीते दो पदक

इसके बाद 2020 टोक्यो ओलिंपिक में वो गोल्ड जीतने से चूक गईं, लेकिन ब्रॉन्ज के लिए हुए मुकाबले को जीतकर दूसरा ओलिंपिक मेडल हासिल किया।

कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है

पीवी सिंधू को अब तक राजीव गांधी खेल रत्न, पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है।