जब मायावी ग्रह राहु के तीसरे भाव और केतु के नौवें भाव में रहने लगते हैं, तो इसके चलते कुंडली में वासुकी कालसर्प दोष बनता है।
वासुकी कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को जीवन में संघर्षों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा क्षेत्र में जल्द सफलता नहीं मिलती है।
परिवार में कलह की स्थिति रहती है। धैर्य में कमी होने लगती है। आत्मबल कमजोर होने लगता है। व्यक्ति चाहकर भी खुश नहीं रह पाता।
आज हम आपको वासुकी कालसर्प दोष से बचने के उपाय बताएंगे, ताकि जीवन में किसी प्रकार की कोई अनहोनी न हो। आइए इसके बारे में जानें।
वासुकी कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही हर मंगलवार के दिन लाल रंग की चीजों का दान करें।
लाल रंग की चीजें दान करने के साथ-साथ राहु और केतु के बीज मंत्र का भी जप करना चाहिए।
भगवान शिव की रोजाना पूजा करें। देवों के देव महादेव की पूजा करने से भी कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। आपको ये उपाय जरूर करने चाहिए।
इस वेब स्टोरी में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com