भगवान नृसिंह श्री हरि विष्णु के अवतार हैं। उनका स्वरूप बेहद शक्तिशाली है। कहा जाता है, वे अपने भक्तों की रक्षी हर हाल में करते हैं।
भगवान नरसिम्हा को आधे मनुष्य और आधे शेर के रूप में दर्शाया गया है, उनका धड़ मानव जैसा और निचला शरीर, शेर के चेहरे जैसा हैं।
जो लोग किसी बड़ी बाधा से पीड़ित हैं, उन्हें भगवान नृसिंह की पूजा अवश्य करनी चाहिए, जिससे उनके जीवन की सभी नकारात्मकता का अंत हो सके।
भगवान नृसिंह के कवच का पाठ बेहद फलदायी माना गया है। नकारात्मकता को दूर करने के लिए इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।
नृसिंह कवचम वक्ष्येऽ प्रह्लादनोदितं पुरा । सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वोपद्रवनाशनं ॥ सर्वसंपत्करं चैव स्वर्गमोक्षप्रदायकम । ध्यात्वा नृसिंहं देवेशं हेमसिंहासनस्थितं॥
विवृतास्यं त्रिनयनं शरदिंदुसमप्रभं । लक्ष्म्यालिंगितवामांगम विभूतिभिरुपाश्रितं ॥ चतुर्भुजं कोमलांगम स्वर्णकुण्डलशोभितं । ऊरोजशोभितोरस्कं रत्नकेयूरमुद्रितं ॥
तप्तकांचनसंकाशं पीतनिर्मलवासनं । इंद्रादिसुरमौलिस्थस्फुरन्माणिक्यदीप्तिभि: ॥ विराजितपदद्वंद्वं शंखचक्रादिहेतिभि:। गरुत्मता च विनयात स्तूयमानं मुदान्वितं ॥
स्वहृतकमलसंवासम कृत्वा तु कवचम पठेत नृसिंहो मे शिर: पातु लोकरक्षात्मसंभव:। सर्वगोऽपि स्तंभवास: फालं मे रक्षतु ध्वनन । नरसिंहो मे दृशौ पातु सोमसूर्याग्निलोचन: ॥
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