चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान व्रत रखने से संकट दूर होने लगते हैं। आइए जानते हैं कि नवरात्रि में हवन के समय कौन से मंत्र पढ़ने चाहिए?
चैत्र माह की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल को 01 बजकर 23 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर होगा।
चैत्र नवरात्रि में नवमी के दिन हवन की जाती है। इस दौरान हवन में आहुति डालते समय मंत्र पढ़ना चाहिए। कई मंत्र ऐसे होते हैं जिसे पढ़ना जरूरी माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि में पूजा-पाठ के समय मंत्र का जाप किया जाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी को हवन करते समय भी मंत्र पढ़ना चाहिए।
नवमी के दिन हवन करते समय ‘ऊं आग्नेय नम: स्वाहा, ऊं गणेशाय नम: स्वाहा, ऊं गौरियाय नम: स्वाहा, ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा, ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा, ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा’ मंत्र पढ़ना चाहिए।
हवन करते समय ऊं हनुमते नम: स्वाहा, ऊं भैरवाय नम: स्वाहा, ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा, ऊं न देवताय नम: स्वाहा, ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा, ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा, ऊं शिवाय नम: स्वाहा मंत्र पढ़ना चाहिए।
नवरात्रि में हवन करते समय एक गोला या सूखा नारियल, कलावा, लाल रंग का कपड़ा, अश्वगंधा, ब्राह्मी और सूखी लकड़ियां, चंदन की लकड़ी, पीपल का तना, आम की लकड़ी, छाल, गूलर की छाल आदि की जरूरत होती है।
चैत्र नवरात्रि में हवन करने के बाद आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और भक्त पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
साल-भर पड़ने वाले त्योहार के बारे में जानने समेत अध्यात्म से जुड़ी तमाम जानकारियों के लिए जुड़े रहें jagran.com के साथ