एक बार फिर जगी रोपवे निर्माण की आस
बीते वर्ष यमुनोत्री धाम में हुई अतिवृष्टि और सितंबर माह में यमुनोत्री पैदल मार्ग पर हुए भूस्खलन के बाद यमुनोत्री रोपवे के मुद्दे ने फिर से जोर पकड़ लिया है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: बीते वर्ष यमुनोत्री धाम में हुई अतिवृष्टि और सितंबर माह में यमुनोत्री पैदल मार्ग पर हुए भूस्खलन के बाद यमुनोत्री रोपवे के मुद्दे ने फिर से जोर पकड़ लिया है। शासन स्तर पर भी रोपवे को लेकर कवायद चल रही है। इससे उम्मीद है कि जल्द ही यमुनोत्री धाम को रोपवे की सौगात मिलेगी।
यमुनोत्री धाम जाने के लिए अभी भी जानकी चट्टी से पांच किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। इस विकटता को कम करने के लिए वर्ष 2011 में पर्यटन विभाग ने यमुनोत्री धाम को जोड़ने के लिए रोपवे की योजना बनाई थी, जिसकी स्वीकृति भी शासन से मिली। प्रोजेक्ट पर पहले भूमि हस्तांतरण का पेच फंसा था। लेकिन, वन विभाग की ओर से तीन हेक्टेयर वन भूमि भी वर्ष 2014 में ही हस्तांतरित कर दी गई। साथ ही पर्यावरण मंत्रालय ने एनओसी भी जारी कर दी थी। इसके अलावा खरसाली गांव के ग्रामीणों ने भी 80 नाली भूमि पर्यटन विभाग के नाम की। लेकिन, इतने वर्षों में सरकार के दावे कोरे आश्वासन साबित हुए। इस प्रोजेक्ट पर एक इंच कार्य भी आगे नहीं बढ़ सका। योजना करीब 70 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होनी थी। लेकिन, योजनातैयार ही नहीं की जा सकी। बीते वर्ष यमुनोत्री धाम में अतिवृष्टि से भारी नुकसान हुआ था। जगह-जगह रास्ता टूट गया था। यमुनोत्री पहुंचना मुश्किल भरा था। इस बार यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर ऋषिगंगा के पास भूस्खलन हुआ। करीब 25 दिनों तक यात्रा बाधित रही। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित भी निरीक्षण के लिए पहुंचे। ऐसे में सरकारी सिस्टम से लेकर जनप्रतिनिधियों को यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्तावित रोपवे की याद आई। शासन स्तर पर भी रोपवे तैयार करने को लेकर फाइलें खंगाली गई। बताया जा रहा है कि शासन रोपवे का निर्माण पीपीपी मोड में कराने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए जल्द ही निविदा जारी होने की उम्मीद है। यमुनोत्री मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल ने बताया कि ये महत्वपूर्ण योजना है। इसके लिए खरसाली के ग्रामीणों ने अपनी जमीन भी दी थी। शासन स्तर पर जिस तरह से अब रोपवे निर्माण की कवायद चली है, तो उम्मीद है कि जल्द ही निर्माण शुरू हो जाएगा।