हिमालयी जैव विविधता का हो बेहतर संरक्षण
जिला कार्यालय स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित दो दिवसीय सिक्योर हिमालय परियोजना की कार्यशाला शुरू हो गई। कार्यशाला के पहले दिन गुरुवार को गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वन्यजीव विहार परिक्षेत्र के समेकित संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए चर्चा की गई।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: जिला कार्यालय स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित दो दिवसीय सिक्योर हिमालय परियोजना की कार्यशाला शुरू हो गई। कार्यशाला के पहले दिन गुरुवार को गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वन्यजीव विहार परिक्षेत्र के समेकित संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए चर्चा की गई। कार्यशाला की शुरुआत करते हुए जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि गंगोत्री व गोविंद पशु वन्यजीव विहार में वन और वन्यजीवों को बचाना जरूरी है ताकि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जैव विविधता का बेहतर संरक्षण हो सके।
इस मौके पर बांदा यूनिवर्सिटी की वन एवं पर्यावरण विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर ऐश्वर्या माहेश्वरी ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से हिमालय सिक्योर परियोजना के बारे में जानकारी दी। असिस्टेंट प्रोफेसर ऐश्वर्या माहेश्वरी ने बताया कि यह परियोजना देश के चार राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल, सिक्किम और उत्तराखंड में चलाई जा रही है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य उच्च हिमालय में जैव विविधता तथा परितंत्रों का बेहतर संरक्षण व प्रबंधन करने के साथ-साथ वन्यजीव और पेड़-पौधों का संरक्षण भी करना है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों का सहभागी प्रबंधन एवं आजीविका संवर्धन जरूरी है। साथ ही वन्यजीव अपराध एवं संबंधित खतरों को कम करने के लिए प्रवर्तन निगरानी व सहयोग के लिए स्थानीय जनसमुदाय से सुझाव कार्यशाला में लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उच्च हिमालय के परितंत्रों के लिए प्रभावी जानकारी व सूचना प्रणाली का विकास होना जरूरी है। कार्यशाला में गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक एनबी शर्मा, प्रभागीय वनाधिकारी संदीप कुमार, वाइल्ड लाइफ वैज्ञानिक डॉ. एस. सथ्य कुमार, हिम तेंदुआ संरक्षण विशेषज्ञ यशवीर भटनागर, सेवानिवृत्त पीसीसीएफ जीएस गोरया, सूरत ¨सह रावत, सुरेंद्र पुजारी, यूएनडीपी प्रतिभागी डॉ. अर्पणा पांडेय, कृष्ण कुमार आदि मौजूद थे।