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हिमालयी वन्यजीव संरक्षण की दी जानकारी

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कोलकत्ता की ओर से उत्तरकाशी जिले में हिमालयी क्षेत्र में विलुप्त होते वन्य प्राणियों के संरक्षण तथा मॉनिट¨रग के लिए दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। कार्यशाला में वन्यजीवों के संरक्षण, मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने तथा वन्यजीवों के व्यवहार के बारे में शोधार्थी छात्रों, वन सरपंचों और वन विभाग कर्मचारियों को जानकारी दी गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 06:57 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 06:57 PM (IST)
हिमालयी वन्यजीव संरक्षण की दी जानकारी
हिमालयी वन्यजीव संरक्षण की दी जानकारी

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कोलकत्ता की ओर से उत्तरकाशी जिले में हिमालयी क्षेत्र में विलुप्त होते वन्य प्राणियों के संरक्षण तथा मॉनिट¨रग के लिए दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। कार्यशाला में वन्यजीवों के संरक्षण, मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने तथा वन्यजीवों के व्यवहार के बारे में शोधार्थी छात्रों, वन सरपंचों और वन विभाग कर्मचारियों को जानकारी दी गई।

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कोट बंगला स्थित वन विभाग के सभागार में आयोजित कार्यशाला वन विभाग एवं नेशनल मिशन ऑफ हिमालयन स्टडी के सहयोग से शुरू की गई। कार्यशाला की शुरुआत प्रभागीय वनाधिकारी संदीप कुमार ने की। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हिमालयन क्षेत्र में वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास कम हो रहे हैं। इसके साथ ही वन्यजीवों का भोजन चक्र भी प्रभावित हो रहा है। साथ ही पर्यावरण में भी तेजी से बदलाव आ रहे हैं। डीएफओ संदीप कुमार ने कहा कि भले ही उत्तरकाशी जनपद अंतर्गत गंगोत्री नेशनल पार्क में हिम तेंदुओं की मौजूदगी अच्छी है। इसका कारण यह भी है कि यहां हिम तेंदुओं का भोजन भरल आदि अच्छी संख्या में है। कार्यशाला में वन्यजीव संरक्षण, वन्यजीव तस्करी एवं वन्यजीव रेस्क्यू के बारे में ट्रे¨नग दी गई। कार्यशाला में डॉ. ललित कुमार शर्मा ने हिमालयन क्षेत्र में विलुप्त होती प्रजातियों, उनके संरक्षण एवं महत्व के बारे में समझाया। राजाजी नेशनल पार्क की वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. अदिति शर्मा ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को जंगली जानवरों के रेस्क्यू में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न उपकरणों के उपयोग के बारे में बताया। कार्यशाला में मानव-वन्यजीव संघर्ष के बारे में चर्चा हुई तथा इसे कैसे कम किया जा सके, इस पर भी मंथन हुआ। इस मौके पर प्रोफेसर डॉ. महेंद्रपाल परमार, पपेंद्र रोतेला, प्रेम चंद रमोला, अव्वल लाल, वन सरपंच प्रेम ¨सह पंवार, लाल ¨सह, हरदेव प्रसाद अवस्थी, नरेश ¨सह चौहान आदि मौजूद रहे।


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