Avalanche In Trishul Peak: त्रिशूल चोटी में एवलांच की चपेट में आए नौसेना के पर्वतारोही, रेस्क्यू में मौसम ने बढ़ाई दुश्वारियां
Avalanche In Trishul Peak एवलांच की चपेट में आए नौसेना के पर्वतारोहियों के रेस्क्यू में मौसम ने मुश्किलें खड़ी की। नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में बादल छाने और ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी होने के कारण सर्च एंड रेस्क्यू टीम त्रिशूल के बेस कैंप क्षेत्र में लैंडिंग नहीं कर पायी।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Avalanche In Trishul Peak त्रिशूल चोटी में एवलांच की चपेट में आए नौसेना के पर्वतारोहियों के रेस्क्यू में मौसम ने मुश्किलें खड़ी की हैं। शुक्रवार की दोपहर के बाद नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में बादल छाने और ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी होने के कारण थल सेना, वायु सेना और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की सर्च एंड रेस्क्यू टीम त्रिशूल के बेस कैंप क्षेत्र में लैंडिंग नहीं कर पायी। इस संयुक्त टीम ने तीन बार हेलीकाप्टर से प्रयास किया, लेकिन टीम को वापस जोशीमठ लौटना पड़ा। अब शनिवार को मौसम के साफ होने पर ही रेस्क्यू कार्य शुरू होगा।
निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि घाट से होकर त्रिशूल चोटी के बेस कैंप होमकुंड पहुंचने में पांच दिन का समय लगता है। इसलिए हेलीकाप्टर से ही बेस कैंप तक पहुंचना उचित है। शुक्रवार की दोपहर बाद तीन बार हेलीकॉप्टर से बेस कैंप पहुंचने का प्रयास किया गया लेकिन, मौसम अनुकूल न होने के कारण प्रयास सफल नहीं हो पाया। शनिवार सुबह निम की सर्च एंड रेस्क्यू, वायु सेना और थल सेना की टीम संयुक्त अभियान शुरू करेगी। प्रयास किया जाएगा कि कैंप-एक के ग्लेशियर क्षेत्र में लैंडिंग की जाए। अगर स्थिति अनुकूल नहीं हुई तो बेसकैंप होमकुंड और सुतोल पड़ाव में लैंडिग की जाएगी।
अपना हेलीपैड तक नहीं निम के पास
उच्च हिमालय क्षेत्र में सर्च एंड रेस्क्यू कराने वाला एशिया का पहला संस्थान होने का खिताब नेहरू पर्वतारोहण संस्थान को है। इस संस्थान में सर्च एंड रेस्क्यू का प्रशिक्षण अभियान चलता है। जिसमें उच्च हिमालयी क्षेत्र में कोई दुर्घटना होने पर रेस्क्यू अभियान चलाया जा सके। इस संस्थान के पास अनुभवी प्रशिक्षक तो हैं, लेकिन सुविधाओं और संसाधनों की कमी है। इसके कारण किसी घटना के घटित होने सर्च एंड रेस्क्यू की टीम तत्काल नहीं पहुंच पाती है। शुक्रवार त्रिशूल चोटी पर हुई घटना के लिए सर्च एंड रेस्क्यू के लिए नौसेना ने निम से मदद मांगी।
सूचना मिलते ही कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में टीम तत्काल तैयार हुई, लेकिन निम के पास अपना हेलीकाप्टर नहीं है। इसके साथ ही निम में हेलीपैड भी नहीं है। इस कारण टीम को हेलीकाप्टर का इंतजार करना पड़ा। शुक्रवार की दोपहर दो बजे के करीब टीम उत्तरकाशी से वायु सेना के हेलीकाप्टर से रवाना हुई, लेकिन टीम को इसके लिए 12 किलोमीटर दूर आइटीबीपी मातली के हेलीपैड पर जाना पड़ा। निम में लंबे समय से हेलीपैड की मांग की जा रही है। हेलीपैड आज तक नहीं बन पाया।
यह भी पढ़ें- VIDEO: उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन, त्रिशूल पर्वत पर चढ़ाई करने जा रहे नौसेना के 5 जवान और एक पोर्टर लापता