17 लाख खर्च, फिर भी सूखे हलक
संवाद सहयोगी उत्तरकाशी जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते गंगा के मायके में लोगों के हल
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते गंगा के मायके में लोगों के हलक सूख रहे हैं। 17 लाख खर्च होने के बावजूद भी ग्रामीण पेयजल किल्लत से परेशान हैं। हैरत की बात है कि मामला संबंधित विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में होने के बावजूद भी ग्रामीण प्राकृतिक स्त्रोतों से पानी ढोने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के शिकायत के बावजूद भी संबंधित विभाग समस्या का समाधान करने में नाकाम साबित हो रहा है।
जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर भटवाड़ी ब्लॉक के ग्राम पंचायत लाटा का खंडगांव कुमाल्टी के ग्रामीण बीते चार महीने से पेयजल किल्लत से जूझ रहे हैं। पेयजल आपूर्ति सुचारू नहीं होने पर ग्रामीण प्राकृतिक स्त्रोतों और सड़क किनारे लगे हैंडपंपों से अपनी प्यास बुझा रहे हैं। नाम नहीं छापने पर स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि गांव में करीब 180 परिवार रहते हैं। एक दशक पहले जलसंस्थान ने गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए लाइन बिछाई गई थी। कुछ वर्षों तक गांव में पेयजल आपूर्ति सुचारू रही। लेकिन उसके बाद ग्रामीणों को पेयजल किल्लत सतानी शुरू हो गई। पेयजल लाइन की मरम्मत के लिए जलसंस्थान को वर्ष 2015 में करीब पांच लाख रुपये स्वीकृत हुए थे, इससे संबंधित विभाग ने तब पेयजल किल्लत को दूर की। लेकिन कुछ महीनों बाद ही ग्रामीणों को फिर पेयजल किल्लत सतानी शुरू हो गई। पेयजल टैंक की मरम्मत और जीर्णशीर्ण लाइन को बदलने के लिए जलसंस्थान को बीते वर्ष 2018 में करीब 12 लाख रुपये स्वीकृत हुए। इस धनराशि से गांव में दो पेयजल टैंक, पुरानी और जीर्णशीर्ण पेयजल लाइन को बदलना था, लेकिन विभाग ने खानापूर्ति के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग कर कर दिया। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। जलसंस्थान के सहायक अभियंता लोकेंद्र कुमाईं ने बताया कि गांव में पेयजल लाइन को दुरुस्त करने के लिए आपदा मद से करीब डेढ़ लाख रुपये स्वीकृत हैं, जिसका काम चल रहा है। पूरा काम होने पर ही ठेकेदार को बजट दिया जाएगा।