वरुणावत शिखर पर शुरू हुआ फेज-टू का कार्य
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत के तांबाखाणी की साइड वाले शिखर के ट्रीटमेंट
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत के तांबाखाणी की साइड वाले शिखर के ट्रीटमेंट की कवायद शुरू हो गई है। लोनिवि (लोक निर्माण विभाग) ने मानसून के मद्देनजर अब तक ट्रीटमेंट का कार्य शुरू नहीं किया था। लेकिन, मशीनें वरुणावत शिखर पर पहुंचा दी गई थी। ट्रीटमेंट के लिए अगस्त 2017 में शासन से 6.62 करोड़ रुपये की धनराशि भी मिल चुकी है।
सितंबर 2003 में उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत दरकना शुरू हुआ था और लगातार तीन माह तक दरकता रहा। इससे उत्तरकाशी का भूगोल ही बदल गया। इसे देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 282 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2008 तक वरुणावत का ट्रीटमेंट किया गया। लेकिन, ट्रीटमेंट करने वाली संस्था ने ड्रेनेज की कोई व्यवस्था नहीं की। नतीजा, वर्ष 2015 में वरुणावत फिर दरकने लगा। 'दैनिक जागरण' ने इस मसले को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद निरीक्षण के लिए टीम यहां पहुंची और तात्कालिक व्यवस्था के लिए दरक रहे हिस्से पर तिरपाल डाल दिया गया। हालांकि, वह टिक नहीं पाया।
निरीक्षण करने वाली टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अगर तांबाखाणी की साइड के शिखर का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो तांबाखाणी सुरंग को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसी के बाद शासन ने वरुणावत फेज-टू के लिए धनराशि स्वीकृत की। बीते अप्रैल में इसके लिए निविदा हुई और ट्रीटमेंट का जिम्मा नोएडा की एक कंपनी को सौंप दिया गया।
लोनिवि के अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि वरुणावत के शिखर पर भूस्खलन वाले हिस्से को हटाने, वायरक्रेट लगाने और बेंचिंग करने का कार्य होना है। अब तक बरसात के कारण कार्य रोका गया था, जो अब शुरू कर दिया गया है। बताया कि मई 2019 से पहले इस कार्य को पूरा कराना है।
वरुणावत भूस्खलन से इंदिरा कॉलोनी को खतरा
-वैज्ञानिकों की टीम ने किया वरुणावत के नए भूस्खलन का सर्वे
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : इंदिरा कॉलोनी के निकट वरुणावत से भूस्खलन होने और पत्थरों के गिरने का खतरा बरकरार है। इससे इंदिरा कॉलोनी क्षेत्र में बड़ा हादसा हो सकता है। वैज्ञानिकों ने उत्तरकाशी प्रशासन और सरकार को वरुणावत के नीचे बसी इंदिरा कॉलोनी को खाली करवाने की सलाह दी है।
बीते सप्ताह इंदिरा कॉलोनी के निकट वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ था। इससे इंदिरा कॉलोनी के निकट चार लोग घायल हो गए थे। इसके बाद आपदा प्रबंधन शासन को पत्र लिखा था कि वरुणावत के दरकने की वैज्ञानिकों से जांच कराई जाए। इस पर आपदा प्रबंधन के भूवैज्ञानिक डा. कृष्णा ¨सह सजवाण उत्तरकाशी पहुंचे। जिन्होंने ने दरकने वाले हिस्से और वरुणावत के शिखर पर पहुंच कर जांच की। वहीं उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने फोन पर बताया कि पर्वत के नीचे बसी आबादी को विस्थापित किया जाना चाहिए। वह कहते हैं कि इंसान प्रकृति से नहीं टकरा सकता और जब ़खतरा हो तो उससे बचना ही सबसे अक्लमंदी का काम होता है। वे कहते हैं कि 2003 के बाद वरुणावत का वर्ल्ड क्लास ट्रीटमेंट किया गया था, लेकिन अब नया स्लाइड •ाोन बन गया है तो उसका भी ट्रीटमेंट करना होगा।