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जज्बे के साथ कर रहे हिमालय भ्रमण

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हिमालय का दीदार जो एक बार हो गया, समझ लो वह हिमालय का मु

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 10:29 PM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 10:29 PM (IST)
जज्बे के साथ कर रहे हिमालय भ्रमण
जज्बे के साथ कर रहे हिमालय भ्रमण

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हिमालय का दीदार जो एक बार हो गया, समझ लो वह हिमालय का मुरीद हो गया। यह बात उन तीन पर्वतारोहियों की है जो बीते 26 अगस्त हिमालयी की चोटियों और कंद्राओं को पार करने में जुटे हैं। सबसे रोचक बात यह है कि ये पर्वतारोही बिना किसी पोर्टर व गाइड के बर्फीले रास्तों से चल रहे हैं। इनमें दो हिमाचल प्रदेश के हैं, और एक युवा देहरादून उत्तराखंड का है। बीती 27 सितंबर की रात को ये पर्वतारोही का¨लदीखाल पास को पार करते हुए माणा गांव पहुंचे। यहां से इन्हें क्वांरी पास होते हुए हेमकुंड पहुंचना है। इसके बाद वह खातीखाल पास होते हुए धारचुला पहुंचेंगे।

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नेपाल व यूएस की तरह भारत में हिमालय में लंबा हिमालय ट्रै¨कग रूट नहीं है। अभी तक हिमालय के छोटे-छोटे पास तो कई लोगों ने पार किए हैं, लेकिन भारत में पहले बार भारत भूषण निवासी शक्रोरी चंबा हिमाचल प्रदेश, प्रणव रावत निवासी डालनवाला देहरादून उत्तराखंड, शेखर ¨सह निवासी खोणी सरस्वती नगर हाटकोटी शिमला हिमाचल प्रदेश पश्चिमी हिमालय की लेह से लेकर धारचुला तक ट्रै¨कग कर रहे हैं। हिमालय की घाटी और पास से होकर यह पहला ट्रै¨कग अभियान है। इस अभियान प्रमुख सदस्य भारत भूषण ने बताया कि 26 अगस्त को लेह से उन्होंने अपना पश्चिमी हिमालय ट्रै¨कग शुरू की। मारखानली से धारचूला, पारंगला, भाबा पास, ¨शकुला, सांगला, बारालाछला, लम्खागा पास होते हुए 20 सितंबर को हर्षिल पहुंचे। जहां से गंगोत्री होते हुए एशिया के सबसे ऊंचे ट्रै¨कग रूट का¨लदीखाल पास को पार कर 27 सितंबर की शाम को माणा बदरीनाथ पहुंचे। भारत भूषण ने बताया कि लेह से लेकर बदरीनाथ तक उन्होंने 32 दिनों में 600 किलोमीटर की ट्रै¨कग कर दी है। अभी 15 दिन की ट्रै¨कग बाकी है। जो क्वांरी पास से हेमकुंड, कुकिन खाल, आली खाल, खातीखाल से भैंसा खाला, रुडखान पास होते हुए जवाहर वैली पहुंचेंगे। वहां से एक पास को पार करते हुए धारचुला में इस हिमालय ट्रै¨कग का समापन होगा। इस ट्रै¨कग के लिए यूएस से उन्होंने ट्रै¨कग का सामान मंगवाया। जिससे उन्हें पोर्टर की आवश्यकता नहीं होती है। ट्रै¨कग के दौरान ट्रैक का जीपीएस लोकेशन के जरिये मैप तैयार किया जा रहा है। साथ ही फोरप्ले चैनल भी इस ट्रै¨कग पर डॉक्यूमेंट्री बना रहा है। जिन्हें उच्च हिमालय मार्ग के वीडियो वे उपलब्ध करा रहे हैं।

का¨लदीखाल पास की ट्रै¨कग में इन युवाओं का सहयोग करने वाली उत्तरकाशी के हाईलैंड ट्रैक एंड टूर एजेंसी के संचालक पीतांबर पंवार कहते हैं कि इन युवाओं में बेहद ही जोश है। 12 दिन में पूरी होने वाली का¨लदीखाल पास की ट्रै¨कग इन्होंने 7 दिन में ही पूरी की। साथ ही इस ट्रै¨कग अभियान में गंगोत्री नेशनल पार्क व प्रशासन का अच्छा सहयोग रहा है।


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