गोमुख ट्रैक की रेकी करने गया दल आधे रास्ते से वापस लौटा, ये है वजह
गंगोत्री से लेकर गोमुख का निरीक्षण करने निकली संयुक्त टीम गोमुख नहीं पहुंच पाई। रास्ता बर्फ से ढका होन से उन्हें चीड़वासा से ही वापस लौटना पड़ा।
उत्तरकाशी, जेएनएन। गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत गंगोत्री से लेकर गोमुख का निरीक्षण करने निकली संयुक्त टीम गोमुख नहीं पहुंच पाई। रास्ता बर्फ से ढका होने और जगह-जगह हिमखंड होने के कारण इस टीम को गंगोत्री से नौ किमी दूर चीड़वासा से ही वापस लौटना पड़ा। गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक एनबी शर्मा ने बताया कि एसडीआरएफ, ट्रैकिंग एसोसिएशन और पार्क की संयुक्त टीम चीड़वासा से आगे नहीं बढ़ पाई। चीड़वासा से आगे रास्ते का पता नहीं है। साथ ही हिमखंडों के टूटने का भी खतरा बना हुआ है। इसकी रिपोर्ट उन्होंने जिलाधिकारी को सौंप दी है। अब 19 अप्रैल को दोबारा एक टीम रेकी के लिए भेजी जाएगी। इसके बाद ही तय होगा कि पर्यटकों और पर्वतारोहियों को गोमुख क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जाए या फिर नहीं।
विदित हो कि इस बार शीतकाल में हुई भारी बर्फबारी के कारण गंगोत्री से लेकर गोमुख तक 19 किमी का ट्रैक अभी भी बर्फ से ढका हुआ है। पार्क के कपाट खुलने के साथ पहली अप्रैल से इस ट्रैक पर पर्वतारोहियों की आवाजाही शुरू हो जानी थी। लेकिन अधिक बर्फबारी के कारण पार्क ने पहले इस ट्रैक की रेकी करने का निर्णय लिया। तीन अप्रैल को इस रास्ते की स्थिति देखने के लिए 13 सदस्यीय संयुक्त टीम उत्तरकाशी से रवाना हुई। इस टीम को तपोवन तक की स्थिति देखने के निर्देश दिए गए थे।
चार अप्रैल को टीम गंगोत्री से गोमुख के लिए आगे बढ़ी। लेकिन, गंगोत्री से छह किमी की दूरी पर देवढांग के पास हिमखंडों के कारण रास्ता पूरी तरह टूटा मिला। टीम ने हिमखंड को काटकर रास्ता बनाया। इसके अलावा भंगलावासा में भी हिमखंड को पार कर किसी तरह टीम चीड़वासा पहुंची। लेकिन, यहां से आगे बढ़ना संभव नहीं हो पाया। पार्क के उप निदेशक ने बताया कि चीड़वासा के पास खड़ी ढांग में दूर तक रास्ते का कोई पता नहीं चल रहा था। इसके चलते टीम ने वापस लौटने का निर्णय लिया।
शुक्रवार शाम यह टीम उत्तरकाशी पहुंच गई। पार्क उप निदेशक के अनुसार 15 दिन बाद फिर से मार्ग की रेकी की जाएगी। दल में शामिल ट्रैकिंग संचालक मनोज रावत ने बताया कि देवढांग के पास रास्ता टूटा हुआ है।
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