सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे तस्दीक खान
गंगा के मायके और भोले की नगरी में भाईचारे की मिसाल देखने को मिली।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: गंगा के मायके और भोले की नगरी में भाईचारे की मिसाल देखने को मिली। उत्तरकाशी के तस्दीक खान ने विजयादशमी के अवसर पर कन्या पूजन कर उन्हें फल एवं दक्षिणा दी। यह आयोजन आदर्श रामलीला समिति उत्तरकाशी की ओर से किया गया था।
तस्दीक खान की उत्तरकाशी में फल-सब्जी की दुकान है। वह पिछले दस साल से उत्तरकाशी में होने वाले विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और कार्यक्रमों से जुड़कर पूरा सहयोग दे रहे हैं। श्री आदर्श रामलीला समिति में तस्दीक उपाध्यक्ष हैं। अशोक वाटिका सजाने के लिए वह हर साल दो कुंतल से अधिक फल देते आ रहे हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते रामलीला का आयोजन नहीं हो पाया। लेकिन, विजयादशमी पर कन्याओं का पूजन किया गया। पूजन में तस्दीक खान ने कन्याओं को भोजन खिलाया और दक्षिणा व फल दिए। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के शाहबाद गांव निवासी तस्दीक वर्ष 1999 में 12वीं पास करने के बाद उत्तरकाशी आ गए थे। यहां तस्दीक ने फल-सब्जी की छोटी सी दुकान खोली। भोले की नगरी में मेलमिलाप बढ़ा तो तस्दीक ने हिदू धर्म के हर त्योहार और धार्मिक आयोजन में भागीदारी भी बढ़ानी शुरू की। वर्ष 2008 से तस्दीक का व्यापार बढ़ने लगा तो उन्होंने अपनी आय का कुछ हिस्सा यहां के धार्मिक आयोजनों में खर्च करना शुरू किया। होली-दीपावली के हर त्योहार में हिस्सेदारी की और अपनी दो बेटियों अलिशा, शहर खान और पत्नी सारिया के साथ हिदू त्योहारों को मनाना भी शुरू कर दिया। श्री आदर्श रामलीला समिति के उपाध्यक्ष के दायित्व के साथ तस्दीक को उत्तरकाशी मंदिर जीर्णोद्धार समिति का सह सचिव भी बनाया गया। 39 वर्षीय तस्दीक बताते हैं, आपसी मेलजोल और भाईचारे से बढ़कर कुछ नहीं है। तस्दीक का मानना है कि मनुष्य चाहे किसी भी मजहब का हो, लेकिन उसकी इंसानियत ही उसका भगवान है। तस्दीक कहते हैं कि आपके कर्म, विचार और व्यवहार अच्छा है तो आप दूसरों के लिए मिसाल बन सकते हैं।