त्याग तपस्या और करुणा की मूर्ति है शिव
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: मुस्टिकसौड़ के हुणेश्वर मंदिर प्रांगण में आयोजित शिवपुराण क
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: मुस्टिकसौड़ के हुणेश्वर मंदिर प्रांगण में आयोजित शिवपुराण के तीसरे दिन की कथा में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। कथावाचक शिवराम भट्ट ने शिव-भक्ति और शिव-महिमा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया।
उन्होंने कहा कि शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं। 'शिव पुराण' में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से वर्णन किया गया। कहा कि भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है। कहा कि शिव की उपासना अत्यंत सरल है और अन्य देवताओं की भांति भगवान शिव को सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती। शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाये जाने वाले पौधों के फल धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। रामचरितमानस' में तुलसीदास ने जिन्हें 'अशिव वेषधारी' और 'नाना वाहन नाना भेष' वाले गुणों का अधिपति कहा है, महाविनाशक विष को अपने कंठ में धारण करने के कारण ही शिव नीलकंठ कहलाए। ऐसे परोपकारी और अपरिग्रही शिव का चरित्र वर्णित करने के लिए ही इस पुराण की रचना की गई है। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष नारायण पंवार, प्रधान कुरोली अमर ¨सह, कंकराड़ी शूरवीर ¨सह, बोंगाड़ी कविता देवी, मस्ताड़ी गजेंद्र मिश्रा, दलवीर ¨सह गुसाईं, साड़ा विजेंद्र गुसाई, यशवंत पंवार, शूरवीर ¨सह गुसाई आदि मौजूद थे।