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मेरी संस्कृति मेरी पहचान को जीवंत कर रहे उत्‍तरकाशी के संजय, पढ़िए पूरी खबर

उत्तरकाशी निवासी शिक्षक संजय शाह अपने तूलिका से कैनावास पर पौराणिक सांस्कृतिक धरोहर को उकेरकर मेरी संस्कृति मेरी पहचान को जीवंत करने के प्रयास में जुटे हुए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 11:29 AM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 10:15 PM (IST)
मेरी संस्कृति मेरी पहचान को जीवंत कर रहे उत्‍तरकाशी के संजय, पढ़िए पूरी खबर
मेरी संस्कृति मेरी पहचान को जीवंत कर रहे उत्‍तरकाशी के संजय, पढ़िए पूरी खबर

उत्‍तरकाशी, मनोज राणा। राजनेता और जनप्रतिनिधि जहां पहाड़ की पौराणिक संस्कृति और धरोहर को घोषणाओं और दस्तावेजों में जीवंत करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं इन सबसे इतर उत्तरकाशी निवासी और राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज मातली में तैनात चित्रकला शिक्षक संजय शाह अपने तूलिका से कैनावास पर विभिन्न प्रकार की पौराणिक, सांस्कृतिक धरोहर को उकेरकर मेरी संस्कृति मेरी पहचान को जीवंत करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। 

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संजय शाह ने बताया कि उन्हें बचपन से ही चित्रकला का शौक रहा है। इसलिए उन्होंने इसे अपनी आजीविका का जरिया बना दिया और चित्रकला के शिक्षक बन गए। दस साल तक उन्होंने भटवाड़ी ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज हर्षिल में चित्रकला विषय में सेवा दी। हर्षिल में भी उन्होंने स्कूल की बाउंड्रीवाल में विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाई।

बीते पांच वर्षों से वह राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज मातली में सेवारत हैं। उन्होंने बताया पहाड़ की पौराणिक, सांस्कृतिक, धरोहर विलुप्त हो रही है, नई पीढ़ी इन सबसे अनभिज्ञ है। उनका प्रयास है कि वह अपनी कलाकृतियों के माध्यम से युवा पीढ़ी को संस्कृति और धरोहर से रूबरू कराएं।

कहा इसके लिए उन्होंने अब तक करीब 50 पेंटिंग तैयार की हैं। जिसमें पहाड़ी परिवेश, वेशभूषा, पहाड़ी घर, वाद्य यंत्र, रीति-रिवाज, पंचप्रयाग, पंचबदरी और चारधाम शामिल हैं। उन्हें इसकी प्रदर्शनी का अच्छा प्लेटफार्म मिलेगा वहां वह अपनी चित्रकला की प्रदर्शनी से युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करेंगे।

 

छात्राओं की मदद को बढ़ाया हाथ

संजय शाह जहां अपनी कलाकृति के माध्यम से निर्जीव वस्तुओं को सजीव बनाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं वह राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज मातली में दो छात्राओं की शिक्षा में भी मदद कर रहे हैं।

शिक्षक संजय ने बताया कि इन दो छात्राओं के माता-पिता नहीं हैं, लेकिन उनकी कला और शिक्षा में पकड़ होने के कारण वह उनकी हर संभव मदद कर रहे हैं। कहा विद्यालय में खाली समय में उनके पास स्कूल के कई छात्र-छात्राएं कलाकृतियां बनाना सीखते हैं।

राज्यपाल ने किया सम्मानित

शिक्षक संजय शाह की चित्रकारी ने जहां स्कूल की दीवारों में अपनी छाप छोड़ी है, वहीं उनकी कला की छाप प्रदेश स्तर पर भी बनी है, यही कारण है कि वर्ष 2016 में शिक्षक दिवस पर उन्हें प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. केके पॉल द्वारा सम्मानित किया गया।                 

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