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इस जिले में हैं दो धाम, फिर भी सड़के हैं बदहाल, दुर्घटनाओं को न्योता

चारधामों में से दो धाम उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं। लेकिन फिर भी यहां सड़कों के हालात कुछ ज्यादा ठीक नहीं है। जिसके चलते हादसे होते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 06:18 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 08:32 AM (IST)
इस जिले में हैं दो धाम, फिर भी सड़के हैं बदहाल, दुर्घटनाओं को न्योता
इस जिले में हैं दो धाम, फिर भी सड़के हैं बदहाल, दुर्घटनाओं को न्योता

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज उत्तरकाशी जनपद बेहद ही संवेदनशील है। चारधाम में दो धाम उत्तरकाशी जनपद में पड़ते हैं। इस लिहाज से सड़क सुरक्षा बेहद ही जरूरी है। यहां धरासू बड़कोट हाईवे, यमुनोत्री हाईवे तथा गंगोत्री हाईवे के अलावा उत्तरकाशी से केदारनाथ को जोड़ने वाले लंबगांव श्रीनगर मोटर मार्ग पर कई डेंजर जोन हैं। भले ही सड़क हादसों के लिए सड़क से अधिक सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी, चालक की लापरवाही, शराब पीकर वाहन चलाना अधिक जिम्मेदार है। लेकिन सोमवार को गंगोत्री हाईवे पर जिस स्थान पर दुर्घटना हुई उस स्थान पर बीआरओ ने पैराफिट, क्रश बैरियर, डेलीनेटर, पिलर नहीं बनाए थे। जिसके कारण वाहन सीधे खाई में जा गिरा। 

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उत्तरकाशी जनपद में यात्रा काल के दौरान हर वर्ष हादसे बढ़ जाते हैं। जिले के चारधाम यात्रा मार्ग पर पिछले तीन सालों में सबसे अधिक सड़क हादसे 2015 में हुए। जिसमें 17 लोगों की मौत तथा 45 लोग घायल हुए। 2016 में हादसों की संख्या कम रही। 2017 में यात्रा सीजन में तीन हादसे हुए। जिसमें 42 लोगों की मौत हुई। इस बार यात्रा सीजन का यह पहला हादसा है। जिसमें 13 की मौत तथा दो गंभीर रूप से घायल हुए हैं। 

 

इस बार सड़क हादसे होने के पीछे के कारण भूस्खलन रहा है। लेकिन अधिकांश हादसों में बदहाल सड़कें ही जिम्मेदार रही है। उत्तरकाशी जनपद में तीन नेशनल हाईवे तथा एक राज्य मार्ग है। लेकिन कोई ऐसा मार्ग नहीं है जिसकी स्थिति सही हो। सड़कों के किनारे पैराफिट, क्रश बैरियर, डेलीनेटर, पिलर कई डेंजर जोन पर नहीं हैं। अगर कोई वाहन अनियंत्रित हो गया तो वह इन पर टकराकर रुक नहीं सकता। जिस स्थान पर सोमवार को हादसा हुआ था वहां पर बीआरओ ने पैराफिट, क्रश बैरियर, डेलीनेटर, पिलर नहीं बनाए थे। जिसके कारण वाहन सीधे खाई में जा गिरा। 

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि बीआरओ को डेंजर जोन पर हाईवे को ठीक करने के निर्देश दिए गए हैं तथा हाईवे के किनारे पैराफिट, क्रश बैरियर लगाने के निर्देश दिए हैं। 

गंगोत्री हाईवे के डेंजर जोन 

- नालूपानी, रणुवासा, रतूड़ी सेरा, नालूपानी, चढ़ेती, भटवाड़ी, संगलाई, थिरांग, हेल्गु गाड़, गंगनानी, डबराणी, झाला में डेंजर जोन हैं। 

धरासू- बड़कोट हाईवे 

- धरासू बैंड से एक किलोमीटर आगे, सिलक्यारा बैंड, ओरछा बैंड, 

यमुनोत्री हाईवे 

-डामटा, सारी गाड़, डबराणी, बर्नीगाड़, सिलाई बैंड, खरादी, फूलचट्टी, जानकी चट्टी। 

-उत्तरकाशी लंबगांव-श्रीनगर मोटर मार्ग 

- कुटेटी देवी मंदिर से एक किलोमीटर आगे, साड़ा, चौरंगी, धौंतरी आदि 

उत्तरकाशी जनपद में यात्राकाल के दौरान हुए हादसे 

वर्ष         हादसे     मृतक   घायल 

2015        21       17      45 

2016        2        5       10 

2017        3        42      5 

2018        1        13      2 

गंगोत्री हाईवे पर बढ़ रही है दुर्घटनाओं की रफ्तार 

गंगोत्री हाईवे पर उत्तरकाशी से 40 किलोमीटर गंगोत्री की ओर सोमवार को हुई टैंपो ट्रेवल दुर्घटना ऐसे स्थान पर हुई है, जहां सड़क भी ठीक थी। अचानक बिना बारिश के ऊंचे पहाड़ से गिरी चट्टान ने 14 लोगों की जिंदगी एक क्षण भर में छीन ली। ऐसा नहीं है कि गंगोत्री हाईवे पर यह पहली बड़ी दुर्घटना है। इस पहले 10 बड़ी सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि एक बड़ी दुर्घटना मोरी-नैटवाड़ मार्ग पर 2013 में घटी है। 

चिन्यालीसौड़ से लेकर गंगोत्री तक गंगोत्री हाईवे पर दुर्घटनाओं का नाता पुराना रहा है। ऋषिकेश से चिन्यालीसौड़ के बीच में कई बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं। अधिकांश दुर्घटनाएं उत्तरकाशी जनपद में घटी हैं। वर्ष 2012 व 2013 की आपदा ने उत्तरकाशी में सड़कों की स्थिति को जर्जर बना दिया था। इनमें सबसे खराब स्थिति गंगोत्री हाईवे की थी। पूरा हाईवे जगह-जगह क्षतिग्रस्त तथा संकरा भी हो गया था। वर्ष 2016 तथा 2017 में बीआरओ ने गंगोत्री हाईवे पर 75 किलोमीटर हाईवे को सही किया तथा हाईवे पर डामरीकरण किया। लेकिन उसके बाद भी गंगोत्री हाईवे पर हादसों की रफ्तार नहीं थमी।  

उत्तरकाशी जनपद में हुई बड़ी दुर्घटनाएं 

-20 सितंबर 1995 को बस भागीरथी में गिरने से 70 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 9 जुलाई 2006 को नालूपानी के पास बस गिरने से 22 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 3 जुलाई 2008 को नाकुरी के पास बस गिरने से 13 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 21 जुलाई 2008 को सुक्कीटॉप के पास बस गिरने से 14 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 4 जुलाई 2009 को भटवाड़ी गंगनानी के बीच में बस भागीरथी में गिरने से 40 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 10 जुलाई 2009 को नालूपानी में टैक्सी गिरने से 12  लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 1 अगस्त 2010 को भटवाड़ी के डबरानी के पास ट्रक गिरने से 27 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 16 जुलाई 2012 को संगलाई के पास मैक्स खाई में गिरने से पांच ग्रामीणों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 29 जुलाई 2013 को मोरी के पांव तल्ला के पास बस गिरने से 13 की मौत, 20 घायल (मोरी नैटवाड़ सम्पर्क मार्ग) 

- 23 मई 2017 को नालूपानी के पास बस गिरने से 27 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 4 जून 2017 को भटवाड़ी हेल्गुगाड़ के पास टैक्सी गिरने से 12 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

- 3 सितंबर 2018 को भटवाडी संगलाई के पास टैम्पू ट्रेवल गिरने से 13 लोगों की मौत (गंगोत्री हाईवे) 

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