रामलीला मैदान से कूड़े की बदबू
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गंगा किनारे बसा शहर में स्वच्छता के निर्देश और नियमों को न
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गंगा किनारे बसा शहर में स्वच्छता के निर्देश और नियमों को नगर पालिका एवं प्रशासन ने ताक पर रखा है। कूड़ा निस्तारण के लिए अभी प्रशासन ट्रें¨चग ग्राउंड तक नहीं तलाश पाया है। ऐसे में रामलीला मैदान दिनों दिन कूड़े का मैदान बनता जा रहा है। गंदगी के साम्राज्य से आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। रामलीला मैदान में फैले कूड़े की बदबू मुख्य बाजार तक फैलने लगी है। लोगों को आशंका है कि यदि प्रशासन और पालिका इसी तरह से सोई रही तो महामारी फैलने में भी देर नहीं लगेगी। सबसे अधिक परेशानी प्लास्टिक के कचरे को लेकर है। अगर इस कूड़े को कहीं गड्ढे में भी डंप करेंगे तो वहां भी कूड़ा सड़ेगा नहीं। आने वाली 14 जनवरी से माघ मेला होना है। इसके लिए मैदान में एक जनवरी से ही तैयारियां होने लगती है। लेकिन, मैदान को तो कूड़ेदान बनाया गया है।
-सोहन लाल भारती, व्यापारी उत्तरकाशी
जहां कूड़ा निस्तारण के लिए स्थल बनने थे, वहां तो कब्जे हो चुके हैं। अब रामलीला मैदान ही कूड़े डालने के लिए बचा। शहर के बीच होने के कारण कूड़े की बदबू मुख्य बाजार तक पहुंच रही है। जल्द समाधान नहीं हुआ तो लोग इसी से बीमार होने लगेंगे।
-मनसाराम, चाय कैंटीन संचालक, उत्तरकाशी
करीब सात माह तक नगर पालिका का संचालन प्रशासन ने किया। लेकिन, प्रशासन भी कूड़े की समस्या का समाधान नहीं कर पाया है। जो अब रामलीला मैदान में और विकराल समस्या बनकर सामने आ गया है। यहीं हाल रहे तो शहर में बीमारियों फैलनी शुरू हो जाएगी।
- रमेश नौटियाल, सब्जी व्यापारी
नगर पालिका की पहली जिम्मेदारी स्वच्छता होती है। शहर के कोनों में स्वच्छता हो रही है, लेकिन शहर की हृदय स्थली कहे जाने वाले रामलीला मैदान में कूड़े का साम्राज्य बढ़ता जा रहा है। सब्जी मंडी वाले क्षेत्र में तो कूड़े की बदबू के कारण खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा है।
-तस्दीक खान, सचिव, मिनी व्यापार मंडल, उत्तरकाशी
कूड़े का वैज्ञानिक रूप से प्रबंधन करना उनकी पहली प्राथमिकता है। प्रशासन से ट्रें¨चग ग्राउंड के लिए अभी भूमि मिली नहीं है। जो भी स्थान मिलेगा, उसे पहले कूड़े के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए तैयार किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय लोगों के सहयोग की भी जरूरत है।
-रमेश सेमवाल, अध्यक्ष नगर पालिका उत्तरकाशी