यमुनोत्री मंदिर में पुजारियों ने कपड़े से ढक दिया दानपात्र, यात्रियों में गुस्सा; मुकदमे के निर्देश
उत्तरकाशी के यमुनोत्री मंदिर में पुजारियों ने दान पेटियों को कपड़े से ढक दिया है। इसकी शिकायत मिलने पर प्रशासन ने मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तरकाशी, जेएनएन। यमुनोत्री धाम में मंदिर समिति के दानपात्र के ऊपर कपड़ा डालने का मामला सामने आया है। इसकी शिकायत यात्रियों ने मंदिर समिति के प्रशासक एवं अध्यक्ष एसडीएम बड़कोट को की। एसडीएम बड़कोट का कहना है, 'कुछ तस्वीरें और वीडियो फुटेज मिले हैं, जिनमें दान पेटी को कपड़े से ढकते हुए देखा जा सकता है। इस मामले में एसडीएम ने तहसीलदार के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई। दो दिनों के अंतराल में जांच कमेटी से एसडीएम ने रिपोर्ट मांगी है तथा रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
चारधाम यात्रा में यमुनोत्री धाम यात्रा का पहला पड़ाव माना जाता है। यह धाम प्रशासन और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों की संयुक्त समिति के संचालन से संचालित होता है। मंदिर समिति का अध्यक्ष बडकोट उपजिलाधिकारी पदेन होता है, जबकि उपाध्यक्ष और सचिव यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों में से चुने जाते हैं। यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुलने से पहले समिति के 12 सदस्य तथा 12 पुजारियों की तैनाती की जाती है, लेकिन, इन तीर्थ पुरोहितों व सदस्यों को किसी तरह का मानदेय नहीं दिया जाता है। जिसके कारण हर वर्ष इस तरह की शिकायतें आती हैं कि पुजारियों ने मंदिर समिति के दानपात्र के ऊपर कपड़ा डाल दिया है तथा यात्रियों से दान राशि को खुले पात्र में ले रहे हैं। जिसका कोई हिसाब नहीं रखा जाता है। इस बार भी यात्रियों ने यह शिकायत की है कि यमुनोत्री मंदिर में पुजारियों ने मंदिर समिति के दानपात्र को कपड़े से पूरी तरह ढक रखा है। और एक खुले पात्र में तीर्थ यात्रियों से दान ले रहे हैं।
इस मामले में यमुनोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं बड़कोट के उपजिलाधिकारी अनुराग आर्य ने कहा कि उनके पास यमुनोत्री मंदिर समिति के दान पात्र को ढकने की शिकायत आई है। जिसमें पुजारियों ने दानपात्र के ऊपर कपड़ा डाल रखा है तथा यात्रियों से मिलने वाली दान की राशि को खुले पात्र में ले रहे हैं। इसके अलावा यहां भी शिकायत मिली है जो दान पात्र में पहले से धनराशि डाली हुई है पंडे दान पात्र में तार डालकर धनराशि को निकाल रहे हैं। इसलिए उन्होंने तहसीलदार के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई है। इस कमेटी से 2 दिन के अंतराल में रिपोर्ट मांगी गई। आरोप सही पाए जाने पर उपजिलाधिकारी ने मंदिर में तैनात समिति के सदस्य व तीर्थ पुरोहितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
यमुनोत्री मंदिर के समिति के पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल ने कहा कि दानपात्र को कपड़े से ढकने की शिकायत केवल इसी वर्ष की नहीं है, यहां हर वर्ष होता आ रहा है जिन सदस्यों व पुजारियों की ड्यूटी मंदिर में लगी रहती है, उन्हें किसी तरह का मानदेय मंदिर समिति की ओर से नहीं दिया जाता है। जिसके कारण इस तरह की मनमानी चल रही है। उन्होंने कहा कि यमुनोत्री मंदिर को प्रशासन अपने अधीन ले तथा वैष्णो देवी की तरह श्राइन बोर्ड बनाए, मंदिर में जिसकी पुजारी की तैनाती हो उसे एक निश्चित मानदेय मिले और दान की राशि मंदिर के विकास और सुविधाओं में खर्च हो। इसके लिए सभी तीर्थ पुरोहित भी तैयार हैं।
समुद्र तल से करीब 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम
उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से करीब 3235 मीटर (10610 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम को यमुना नदी का उद्गम माना गया है। यमुनाजी को भक्ति का उद्गम माना गया है, इसलिए पुराणों में सर्वप्रथम यमुनाजी के दर्शन की सलाह दी गई है। हालांकि यमुना का वास्तविक स्रोत बर्फ की जमी हुई झील और हिमनद चंपासर ग्लेशियर है। यह समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊंचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में देवी यमुना की काले संगमरमर की मूर्ति विराजमान है। यहां चट्टान से गिरती जलधाराएं ‘ॐ’ सदृश ध्वनि उत्पन्न करती हैं।
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