सफेद कर्फ्यू के बीच अंधकार से संघर्ष
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: सीमांत जनपद उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्र से लगे हुए 35 गां
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: सीमांत जनपद उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्र से लगे हुए 35 गांवों के करीब 12 हजार ग्रामीणों का जीवन संकट में है। यहां बर्फबारी के कारण न पानी है और न बिजली। खाद्यान्न का कोटा भी पूरा नहीं मिल पाया है। सबसे अधिक परेशानी ग्रामीणों को रोशनी के इंतजाम को लेकर झेलनी पड़ रही है। इन गांवों में पिछले एक वर्ष से केरोसिन की एक बूंद तक नहीं मिली है। शाम होते ही ग्रामीण घरों में कैद हो रहे हैं और पौ फटने तक इन गांवों में अघोषित कर्फ्यू की स्थिति है। इन गांवों में संचार की सुविधा भी नहीं है।
पिछले दो माह के अंतराल में हुई भारी बर्फबारी के कारण जिले के मोरी, पुरोला, नौगांव और भटवाड़ी ब्लॉक के करीब 35 गांव बर्फबारी से ढके हैं। इन गांवों को जोड़ने वाली सड़कों के साथ ही पैदल रास्ते तक बंद पड़े हैं। इसके कारण ग्रामीण निकटवर्ती बाजारों में जरूरी कार्य के लिए आवाजाही भी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं पिछले 25 दिनों से जिले के 40 से अधिक गांवों में बिजली आपूर्ति ठप पड़ी है। रोशनी की व्यवस्था के लिए इन गांवों में लैंप और लालटेन जलाने के लिए पिछले एक वर्ष से केरोसिन नहीं मिली है। वहीं इन गांवों में दिसंबर से लेकर अभी तक गेहूं का कोटा भी नहीं मिला है। फिताड़ी निवासी राजेंद्र राणा बताते हैं कि बिजली की लाइन जगह-जगह टूटी पड़ी है। जखोल को जोड़ने वाला 12 किलोमीटर पैदल रास्ता भी बर्फ से बंद पड़ा है। दूसरी परेशानी पानी की है। ग्रामीण बर्फ को पिघलाकर पानी का इंतजाम कर रहे हैं। पानी की आपूर्ति ठप होने से सबसे अधिक परेशानी पशुओं के लिए हो रही है।
बर्फ से ढके हैं ये गांव
- मोरी ब्लॉक: ओसला, पवांणी, गंगाण, ढाटमीरा, जखोल, सांकरी, तालुका, सिरगा, सांवणी, सटूड़ी, लिवाड़ी, कासला, राला, फिताड़ी, हरीपुर, नुराणु, हड़वाड़ी, सेवा, बरी, खाना, ग्वलागांव, किराणु, माकुड़ी, रेक्चा।
- पुरोला ब्लॉक: सर, पोंटी, चिमडार, लेवटाड़ी, छानिका, गौल, सर, ¨डगाड़ी।
- नौगांव ब्लॉक: खरसाली, बीफ, फूलचट्टी, जानकीचट्टी, कुठार, निशणी, ¨पडकी, मदेश।
- भटवाड़ी ब्लॉक: मुखबा, हर्षिल, धराली, सुक्की, जसपुर, बगोरी, पुराली, भंगेली, झाला।
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जिले में केरोसिन का कोटा पिछले एक साल से नहीं आया है। इसे लेकर शासन में कई बार मांग भी की गई। अब फिर से पत्र भेजा गया है। गेहूं का कोटा भी कम आया था। लेकिन, संबंधित गोदाम संचालक को निर्देश दिए गए हैं कि सबसे पहले जखोल, तालुका व दोणी के मिनी गोदामों में गेहूं का कोटा भेजा जाए।
गोपाल मटूड़ा, जिला पूर्ति अधिकारी, उत्तरकाशी