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बगीचों से बेरोजगारों के हाथों को मिलेगा रोजगार

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: सीमांत जनपद उत्तरकाशी में भारतीय कृषि कौशल परिषद की ओर स

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 03:00 AM (IST)
बगीचों से बेरोजगारों के हाथों को मिलेगा रोजगार
बगीचों से बेरोजगारों के हाथों को मिलेगा रोजगार

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: सीमांत जनपद उत्तरकाशी में भारतीय कृषि कौशल परिषद की ओर से 40 स्थानीय युवाओं को दिए जा रहे उद्यान सहायक व कृषि प्रसाद सेवा प्रदाता के प्रशिक्षण से रोजगार की उम्मीद जगी है। ये उद्यान सहायक जनपद के सेब काश्तकारों के बगीचों में कटाई-छंटाई के साथ ग्रा¨फ्टग भी करेंगे। अभी तक यहां के काश्तकारों को इस कार्य के लिए उद्यान सहायकों को हिमाचल प्रदेश से बुलाए जाते हैं।

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उत्तराखंड में सबसे अधिक सेब का उत्पादन उत्तरकाशी जनपद में होता है। सेब उत्पादन के लिए उत्तरकाशी के गंगा घाटी और यमुना घाटी का क्षेत्र मुफीद है। देश और प्रदेश में लगातार सेब की मांग बढ़ने के कारण यहां के काश्तकारों का रुझान सेब की बागवानी की ओर बढ़ रहा है। मोरी, नौगांव व भटवाड़ी ब्लॉक में 9372.59 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हो रही है। वर्तमान में 8663 काश्तकारों की आजीविका का मुख्य जरिया सेब उत्पादन है। लेकिन, सेब बागवानी के लिए व्यवहारिक ज्ञान एवं तकनीकी परामर्श के साथ कटाई छटाई सबसे महत्वपूर्ण होती है। जिसका असर सीधे सेब उत्पादन पर पड़ता है। सेब के पेड़ों की कटाई-छटाई, ग्रा¨फ्टग हर वर्ष होनी जरूरी होती है। अभी तक इस कार्य लिए हिमाचल प्रदेश से विशेषज्ञों की टीम आती है। काश्तकारों टीम के प्रत्येक सदस्य को एक दिन मेहनताना एक से लेकर डेढ़ हजार रुपये देने पड़ते हैं।

अब भारतीय कृषि कौशल परिषद के सहयोग कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ में स्थानीय 40 युवक व युवतियों को व्यवहारिक ज्ञान व तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ के प्रभारी अधिकारी डॉ. पंकज नौटियाल कहते हैं कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बागवानी एवं कृषि प्रसाद सेवाओं के क्षेत्र में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने हैं।

डॉ. पंकज नौटियाल कहते हैं कि उत्तरकाशी बागवानी के क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखता है। व्यवहारिक ज्ञान एवं तकनीकी परामर्श के साथ कटाई छटाई जैसे कार्यों के लिए अभी दूसरे राज्यों के विशेषज्ञों पर निर्भर है। इस लिए 40 स्थानीय युवा-युवतियों को उद्यान सहायक और कृषि प्रसार सेवा प्रदाता का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 40 दिनों तक चलने वाला यह प्रशिक्षण 28 फरवरी तक चलेगा। 1 मार्च को इन युवक-युवतियों की भारतीय कृषि कौशल परिषद की देखरेख में परीक्षा होगी। इन युवाओं को 70 फीसद अंक लाने जरूरी हैं। जिसके बाद इन्हें प्रमाण पत्र दिया जाएगा।


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