Move to Jagran APP

14 साल की उम्र में बसे हिमालय की गोद में, अब करेंगे शिवलिंग चोटी की परिक्रमा

विष्णु समेवाल चौदह साल की कम उम्र में अपने भार्इ के साथ ट्रैकिंग के लिए निकले थे। लेकिन फिर उसके बाद वो हिमालय के ही होकर रह गए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 02:02 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 09:15 AM (IST)
14 साल की उम्र में बसे हिमालय की गोद में, अब करेंगे शिवलिंग चोटी की परिक्रमा
14 साल की उम्र में बसे हिमालय की गोद में, अब करेंगे शिवलिंग चोटी की परिक्रमा

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: पर्वतराज हिमालय की गगन चूमती चोटियों में गजब का आकर्षण है। एक बार जो इन चोटियों का मुरीद हो जाए, फिर वह इस शौक से दूर हो ही नहीं सकता। उत्तरकाशी के लदाड़ी निवासी 35 वर्षीय विष्णु सेमवाल इन्हीं में से एक हैं। वह 14 साल की उम्र में पहली बार अपने भाई के साथ गोमुख की ट्रैकिंग पर गए और फिर हिमालय के ही होकर रह गए। अब तक विष्णु एवरेस्ट सहित 25 से अधिक चोटियों का आरोहण करने के साथ ही क्रॉस द हिमालय की सफल ट्रैकिंग भी कर चुके हैं। अब उन्होंने गंगोत्री हिमालय की शिवलिंग चोटी की परिक्रमा करने की ठानी है। इस संबंध में वह ट्रैक की रेकी करने के साथ ही जुलाई में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज व विधायक गोपाल सिंह रावत को प्रस्ताव भी दे चुके हैं। 

loksabha election banner

विष्णु कहते हैं कि कैलास-मानसरोवर की तर्ज पर 6543 मीटर ऊंची विश्व प्रसिद्ध शिवलिंग चोटी की परिक्रमा आसानी से की जा सकती है। इसकी प्लानिंग वे पिछले पांच साल कर रहे हैं। उत्तरकाशी से उत्तरकाशी तक इस यात्रा में 15 दिन का समय लगेगा। इसका बेस कैंप तपोवन होगा। विष्णु कहते हैं कि इस परिक्रमा में भागीरथी ग्रुप की तीन चोटियां, खर्चकुंड, केदारडोम, चौखंभा ग्रुप की चार चोटियां, कीर्ति स्तंभ, थले सागर, भृगु पत्थर, जोगिन ग्रुप की तीन चोटियां, श्रीकैलास, सुदर्शन, थैलू कोटेश्वर, मात्री व मेरू ग्रुप की तीन चोटियों के अलाव 50 चोटियां ऐसी चोटियां शामिल हैं, जिनका नामकरण नहीं हुआ है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने भी उनके इस प्रस्ताव की सराहना की है। 

इन चोटियों को कर चुके फतह 

विष्णु बताते हैं कि वह एक बार माउंट एवरेस्ट, सात बार सतोपंथ चोटी, श्रीकैलास व गंगोत्री-तृतीय, दो-दो बार जोगिन-प्रथम व द्वितीय, पांच-पांच बार केदारडोम व भागीरथी-द्वितीय, तीन-तीन बार गंगोत्री-प्रथम व शिवलिंग और एक-एक बार थौलू, कोटेश्वर, मां-बेटी, फ्रेंडशिप, सेतीधार प्रिय दर्शनी का आरोहण कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने कई पर्वतारोहियों को भी इन चोटियों का आरोहण कराया। 

वर्ष 2010 में नेपाल से लेकर लेह-लद्दाख तक उन्होंने लगातार छह माह तक ट्रैकिंग की। इसे क्रॉस द हिमालय कहते हैं। इसी तरह से मल्ली मस्ताना बाबू के साथ 45 दिन में चारों धाम का भ्रमण हिमालयी ट्रैक से किया। जबकि, उच्च हिमालय के कालिंदी पास, उड़नकोल लमखागा पास, बाली पास, बाबा पास सहित कई दर्रों को दर्जनों बार पार किया। 

हिमालय को समझने में लगती हैं सदियां 

विष्णु कहते हैं कि हिमालय को समझने में सदियां लग सकती हैं। लेकिन, हिमालय उन्हीं का साथ देता है, जो धैर्य एवं धीरज के साथ संवेदनशीतला से उसे समझने की कोशिश करते हैं। कहते हैं, वर्ष 2011 में 16 विदेशी पर्यटक उनके साथ कालिंदी पास वाले ट्रैक पर दस दिन तक फंसे रहे। लेकिन, उन्होंने पूरी टीम का धैर्य नहीं टूटने दिया और उसे सुरक्षित बाहर निकाला। वर्ष 2010 में लापता हुए आठ पर्यटकों को भी उन्होंने ही खोज निकाला था। विष्णु को वर्ष 2010 में चंडीगढ़ में 'भारत गौरव' अवार्ड मिला। साथ ही कई मंचों पर भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। 

यह भी पढ़ें: यहां 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनेगा कांच का पुल, हवा में तैरेंगे आप

यह भी पढ़ें: हवा पर सवार होकर कर सकेंगे हेमकुंड साहिब और मसूरी की सैर

यह भी पढ़ें: दुनिया का सबसे ऊंचा ये ट्रैक बन रहा रोमांच के शौकीनों की पसंद, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.