भारत- चीन सीमा पर तहसील वीरान
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : भारत- चीन सीमा पर तहसील भटवाड़ी अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रह
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : भारत- चीन सीमा पर तहसील भटवाड़ी अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है। किसी समय गुलजार रहने वाली भटवाड़ी तहसील पिछले कुछ साल से वीरान है। भटवाड़ी के नाम पर दर्जन भर से अधिक विभाग तो हैं, लेकिन उनका संचालन जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से हो रहा है।
जिला मुख्यालय से 28 किमी दूर गंगोत्री की ओर भटवाड़ी तहसील की स्थापना 1960 में हो गई थी। सामरिक दृष्टि और चारधाम यात्रा के दौरान यह तहसील काफी महत्वपूर्ण है। एक समय तो ऐसा था कि भटवाड़ी तहसील मुख्यालय में उप कोषागार से लेकर खुफिया एजेंसी आइबी का भी कार्यालय था, लेकिन वर्ष 1991 में आए भूकंप ने भटवाड़ी को बड़ा झटका दिया। इससे यहां स्थापित विभाग जिला मुख्यालय की ओर शिफ्ट होने लगे। वर्ष 2010 में भटवाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन होना शुरू हुआ तो सबसे पहले तहसील का भवन इसकी चपेट में आया। 2013 में तो बड़ी आपदा ने विभागों को पूरी तरह ही पलायन करने का मौका दिया। इसके बाद तहसील, उप कोषागार, बाल विकास, उद्यान, उद्योग विभाग, कृषि विभाग, आइबी, एलआइयू, पशुपालन विभाग सहित अन्य विभाग उत्तरकाशी शिफ्ट हुए। असली वीरानी तब छाई जब लोहारी नाग पाला परियोजना के निर्माण पर रोक लगी है। तब से लेकर अभी तक भटवाड़ी तहसील कस्बा अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। अभी तक तहसील का यहां नया भवन नहीं बना सकता है। नाम के लिए तहसील भी एक टीनशेड पर चला जा रही है। यूथ कांग्रेस के नेता सुमन प्रदीप रावत ने कहा कि एक समय ऐसा था जब भटवाड़ी कस्बा गुलजार रहता था। प्रशासन की अनदेखी के कारण यह कस्बा वीरान हो गया है। 2010 में तहसील भवन टूटने के बाद अभी तक भवन का निर्माण तक शुरू नहीं हुआ है। विभागीय अधिकारियों की यह स्थिति है कि वेतन तो भटवाड़ी के नाम से निकल रहा है और विभागों का संचालन उत्तरकाशी से हो रहा है। उपेक्षा का रवैया इतना गंभीर है कि पत्रकारों को धरना देते हुए 15 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक मांगों पर अमल नहीं हुआ है। भटवाड़ी तहसील में जो भी विभाग संचालित हैं, उन सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे भटवाड़ी में स्थाई रूप से रहें तथा लोगों की समस्याओं का समाधान करें।
-डॉ. आशीष चौहान, जिलाधिकारी उत्तरकाशी।