भैलो खेलकर मनाई मंगशीर की बग्वाल
उत्तरकाशी में मंगशीर की बग्वाल पारंपरिक रूप से बनाई गई।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : उत्तरकाशी में मंगशीर की बग्वाल पारंपरिक रूप से बनाई गई। स्थानीय निवासी कंडार देवता मंदिर से पारंपरिक पोषाक पहन कर आजाद मैदान में पहुंचे, जहां भैलो (चीड़ की लकड़ी के छिलकों से बने) खेला गया। कोरोना संक्रमण के कारण यह कार्यक्रम सांकेतिक रहा। भले ही भटवाड़ी, डुंडा और चिन्यालीसौड़ क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांवों में पारंपरिक रूप से ग्रामीणों ने इस त्योहार को मनाया।
सीमांत जनपद उत्तरकाशी में मंगशीर बग्वाल मनाने को लेकर कई मान्यताएं हैं, जिसमें एक मान्यता यह भी है कि सुदूरवर्ती होने के कारण इस क्षेत्र में भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना देर से मिली, जबकि दूसरी मान्यता यह भी है कि कार्तिक माह की दीपावली के दौरान इस सीमांत क्षेत्र के ग्रामीण अपने खेती किसानी के कार्य में व्यस्त रहते हैं। इसलिए खेती के काम से निवृत होकर एक माह बाद मंगशीर मास की अमावस्या को दीपावली मनाते हैं।
उत्तरकाशी में अनघा माउंटेन एसोसिएशन की ओर से 2007 से हर वर्ष मंगशीर बग्वाल मनाई जा रही है। इस बार आजाद मैदान में भैलो कार्यक्रम के साथ बग्वाल मनाई गई। बग्वाल गांव की ओर से थीम के तहत 25 से अधिक गांवों के साथ यह बग्वाल गांवों में मनाई गई, जिसमें मुखवा, भटवाड़ी, सौरा, सारी, सैंज, पाही, पिलंग, नौगांव, अगोड़ा, हीना, गजोली, नेताला, गणेशपुर, संग्राली, पाटा, बग्याल गांव, माण्डौ, बोंगा, पोखरी, बड़ेथी, साल्ड, ज्ञाणजा, मानपुर, किशनपुर, लक्षेश्वर गांव शामिल हुए। ग्रामीणों ने पारंपरिक भोज तैयार किए। इस मौके पर अनघा माउंटेन एसोसिएशन के संरक्षक अजय पुरी, अध्यक्ष हिमांशु जोशी, मालगुजार शैलेन्द्र नौटियाल, मोहन डबराल, सुरेंद्र गंगाडी, बलदेव, उमेद, नौबर कठैत, कृष्णा बिजल्वाण, मंगल चौहान, सुभाष कुमाईं, रवि नेगी, राघवेंद्र उनियाल, जेपी राणा आदि मौजूद थे।