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गंगोरी के पास गंगा वाटिका का सम्मोहन

गंगोत्री राजमार्ग पर गंगोरी कस्बे के पास बेकार पड़ी भूमि में भव्य वाटिका तैयार की गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 09:51 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:11 AM (IST)
गंगोरी के पास गंगा वाटिका का सम्मोहन
गंगोरी के पास गंगा वाटिका का सम्मोहन

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

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गंगोत्री राजमार्ग पर गंगोरी कस्बे के पास बेकार पड़ी भूमि में भव्य गंगा वाटिका देखकर वहां से गुजरने वालों के कदम अनायास ही ठिठक जाते हैं। उत्तरकाशी जिले की इस पहली गंगा वाटिका को वन विभाग ने नमामि गंगे परियोजना के तहत तैयार किया है। वाटिका में मखमली घास के मैदान के बीच देव वृक्षों की छांव में पर्यटकों के लिए पुस्तकालय भी स्थापित किया गया है।

वर्ष 2012 और 2013 की आपदा ने उत्तरकाशी जिले में भी कहर बरपाया था। इस दौरान जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से चार किमी दूर असी गंगा और भागीरथी नदी के संगम तट पर बसे गंगोरी कस्बे को भारी नुकसान पहुंचा था। राजमार्ग पर बने पुल के अलावा एक पार्क भी बह गया था। इसके बाद पार्क वाला क्षेत्र पूरी तरह वीरान पड़ गया गया। वर्ष 2017-18 में वन विभाग ने नमामि गंगे के तहत करीब एक हेक्टेयर क्षेत्र में 22 लाख की लागत से गंगा वाटिका तैयार करने की योजना बनाई। इसके तहत वहां उपजाऊ मिट्टी डालकर दूब घास लगाई गई। साथ ही आम, पीपल, बरगद व आंवला जैसे देव वृक्षों की पौध का रोपण भी किया गया। जबकि, पहले से मौजूद वृक्षों का सुंदरीकरण किया गया।

असी गंगा ओर भागीरथी नदी के संगम स्थल पर पर्यटकों के बैठने के लिए उपयुक्त स्थान बनाया गया। ताकि वह प्रकृति की खूबसूरती का लुत्फ लेने के साथ वहां पुस्तकें भी पढ़ सकें। पार्क में बच्चों के लिए फव्वारा, सुरक्षा के लिए रेलिंग व बैठने के लिए छतरी का इंतजाम भी किया गया है। प्रभागीय वनाधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि गंगा वाटिका परिसर में पुस्तकालय का निर्माण भी किया गया है। यहां बैठकर पर्यटकों के लिए उत्तराखंड की संस्कृति, इतिहास, वन्य जीव व्यवहार, वानिकी, कृषि व उद्यानीकरण से संबंधित रोचक पुस्तकें उपलब्ध हैं।

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यह है योजना

पीओपी (प्लास्टिक ऑफ पेरिस) के जरिये गंगा वाटिका के पास एक बड़े पत्थर पर गोमुख से लेकर गंगा सागर तक की पेंटिग बनाई जाएगी। यह पेंटिंग गंगा संस्कृति को भी प्रदर्शित करेगी। इसके अलावा यहां बर्ड म्यूजियम बनाने की भी योजना है। शासन से प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। यह उत्तराखंड का पहला म्यूजियम होगा।


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