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हाईड्रोपोनिक तकनीक से प्राप्त करें चारापत्ती

संवाद सहयोगी उत्तरकाशी भटवाड़ी ब्लॉक के मांडो गांव में पशुपालन विभाग और एकीकृत आजीवि

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2019 07:30 PM (IST)
हाईड्रोपोनिक तकनीक  से प्राप्त करें चारापत्ती
हाईड्रोपोनिक तकनीक से प्राप्त करें चारापत्ती

संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : भटवाड़ी ब्लॉक के मांडो गांव में पशुपालन विभाग और एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पशुपालकों को नवीन तकनीक हाईड्रोपोनिक के बारे में बताया गया।

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शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत आर्य ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि जनपद में पहली बार हाईड्रोपोनिक तकनीक का उपयोग किया गया। इस नवीन तकनीक से बिना मिट्टंी के हरे चारे को उगाया जा सकता है। कहा पहाड़ों में अधिकांश महिलाएं अपना बहुमूल्य समय चारापत्ती लाने में व्यतीत कर देती हैं। नई तकनीक के उपयोग से महिलाओं के बोझ को कम करने के साथ ही समय की बचत होगी। मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ. प्रलयंकरनाथ ने बताया कि एकीकृत आजीविका के सहयोग से 172 प्रगतिशील पशुपालकों को पशुपालन व डेयरी विकास को प्रोत्साहन देने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कहा हाइड्रोपोनिक तकनीक से मात्र 10 से 12 दिन के भीतर हरा चारा पशुओं को खिलाने के लिए तैयार हो जाता है। इस विधि से प्रति किग्रा हरा चारा उत्पन्न करने पर मात्र तीन से चार लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है, किसी प्रकार की उर्वरक की जरूरत नहीं होती। जबकि इसके विपरीत खेतों में चारा, फसल के बीज की बुवाई करने से 50 से 60 दिन का समय लगने के साथ ही 15 से 20 रुपये की लागत लग जाती है। हाईड्रोपोनिक तकनीक अपनाने से निश्चित तौर पर पशुपालकों को इसका लाभ मिलेगा। कहा प्रारंभिक तौर पर एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना उत्तरकाशी के तहत तीन सहकारिताओं माडो, मुस्टिकसौड़, गमदियाड़गांव में हाईड्रोपोनिक विधि से हरा चारा उत्पादन यूनिट की स्थापना की गई है। इस मौके पर उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ. हिमांशु पांडेय, डॉ. शिवानंद पाठक, डॉ. धर्मेन्द्र सिंह नाथ, डॉ. अंकित कुमार, जयवीर सिंह, सुरेन्द्र सिंह राणा, लोकेन्द्र दत्त जोशी, ग्राम प्रधान रजनी भट्ट आदि मौजूद थे।


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