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मटर की फसल के लिए मुसीबत बनी अधिक बारिश

संवाद सूत्र, पुरोला: एक दशक बाद रवाईं घाटी में जनवरी-फरवरी में जमकर बारिश हुई है। ज

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 03:00 AM (IST)
मटर की फसल के लिए मुसीबत बनी अधिक बारिश
मटर की फसल के लिए मुसीबत बनी अधिक बारिश

संवाद सूत्र, पुरोला: एक दशक बाद रवाईं घाटी में जनवरी-फरवरी में जमकर बारिश हुई है। जल संग्रह के लिए यह बारिश भले ही काफी मुफीद है। लेकिन, अत्यधिक बारिश बेमौसमी सब्जी और मटर उत्पादन के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

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जरूरत से अधिक बारिश से मटर और गेहूं के खेतों में पानी भरने लगा है। इसके कारण मटर की पौध सड़कर पीली पड़ने लगी है। रामा और कमल सिरांई क्षेत्र के मटर उत्पादक धनवीर ¨सह रावत, श्यालीक राम नौटियाल, गुरुप्रसाद उनियाल और बृजमोहन शाह बताते हैं कि पुरोला ब्लॉक के 43 गांवों समेत नौगांव, मोरी के 80 फीसद किसानों ने 100-120 रुपये प्रति किलो दो से तीन कुंतल मटर का बीज खरीदकर बुआई की है। मटर की फसल यहां के किसानों की मुख्य आजीविका का साधन है। बीते सप्ताह तक जो बारिश हुई, वह फसल के लिए काफी फायदेमंद रही। लेकिन, अब जो बारिश हो रही है वह मटर की फसल के लिए नुकसानदायक है। उद्यान प्रभारी एचएस रावत का कहना है कि एक दशक बाद काफी अधिक बारिश और बर्फबारी हुई है। सेब की फसल के लिए तो यह बर्फबारी वरदान है। लेकिन, अब अधिक बारिश मटर की फसल के लिए नुकसानदायक है। जिन मटर के काश्तकारों के सामने यह परेशानी है, वे खेतों के किनारे नाली खोद सकते हैं जिससे पानी की निकासी हो सके।


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