वोट देने से पहले करेंगे नेताओं से सवाल
बनचौरा (उत्तरकाशी) से शैलेंद्र गोदियाल। सोमवार की शाम की साढ़े पांच बजे हैं। ग्रामीण बाज
बनचौरा (उत्तरकाशी) से शैलेंद्र गोदियाल।
सोमवार की शाम की साढ़े पांच बजे हैं। ग्रामीण बाजार बनचौरा में दिन की चहल-पहल हर रोज की तरह समाप्त हो गई है। कारण, रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए बनचौरा बाजार आए ग्रामीण समय से अपने गंतव्यों को निकल गए हैं। बस, बाजार के सन्नाटे को अगर कुछ तोड़ रही तो वह एक परचून की दुकान के पास बैठी व्यापारियों की कुंडली। यहां दिन भर के व्यापार की नहीं बल्कि चुनाव की है। हो भी क्यों न, पांच साल बाद लोकतंत्र का यह महापर्व आया है।
हमने भी करीब पहुंच कर इस चुनावी चर्चा में कान लगाए और कुछ देर तक इन व्यापारियों की चुनावी समीक्षा सुनी। इसी बीच धरकोट गांव निवासी 69 वर्षीय जयेंद्र सिंह हर रोज की तरह आधे किलोमीटर दूर अपने घर से चुनावी चर्चा में अपना ज्ञान बांचने पहुंचे। अपने क्षेत्र के थोकदार रहे जयेंद्र सिंह से हम भी मुखातिब हुए तो, बकौल जयेंद्र सिंह ''अब राजा-रानी से लेकर सभी नेता तक झूठ बोलने लगे हैं, पहले चुनाव में जनता से वादा करते हैं और फिर भूल जाते हैं। हमारे क्षेत्र की एक बड़ी मांग थी कि नवोदय विद्यालय खोला जाए, 18 साल पहले गांव के लोगों ने 120 नाली खेती की जमीन दी। वहां नवोदय विद्यालय तो नहीं बना पर जंगली जानवरों का घर जरूर बन गया है।'' जोखणी निवासी 34 वर्षीय चैन सिंह महर कहते हैं कि आजकल सोशल मीडिया में चौकीदार और चोर बहस चल रही है। लेकिन, जनता को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जनता को तो सुविधाएं चाहिए और विकास चाहिए। पूर्व सैनिक धारकोट निवासी 55 वर्षीय परमनाथ ने कहा कि 18 वर्ष पहले वे रिटायर हो गए थे तो गांव के पास दुकान खोली। इन 18 सालों में सड़क, अस्पताल और स्कूल तो बने हैं, लेकिन इंटर कॉलेज बनचौरा में पिछले चार साल से आठ शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। अस्पताल में भी चार माह से चिकित्सक नहीं हैं। नेता लोग अभी वोट मांगने नहीं आए, आएंगे तो ये सवाल जरूर पूछेंगे। रिखाणगांव के निवासी 53 वर्षीय अतोल सिंह खरोला बनचौरा में परचून की दुकान चलाते हैं। बकौल अतोल सिंह शिक्षा स्वास्थ्य की समस्या बड़ी है, पर नेता लोग सुनने को तैयार नहीं हैं। यहां की लोगों की आजीविका खेती किसानी पर चलती है। जंगली जानवरों और बंदरों से हम सबसे अधिक परेशान हैं। जंगली सूअर और बंदर खेतों में ही फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसका इंतजाम होना चाहिए, जिससे यहां के लोग पलायन न करें। अगर गांव का पलायन होगा तो उन्हें भी पलायन करना पड़ेगा। तब यहां दुकान किसके लिए खोलनी है। परचून की दुकान चलाने वाले बणगांव निवासी 48 वर्षीय आलेंद्र सिंह कहते हैं कि बनचौरा बाजार बिष्ट, हातड़, दशकी पट्टी के 40 गांवों का बाजार है। दिन के समय तो व्यापार अपने काम धंधे में व्यस्त रहते हैं। लेकिन, शाम के समय इस तरह की हर रोज चर्चा होती हैं। वे कहते हैं कि इस लोकसभा चुनाव में लोगों की स्थानीय समस्याएं भी हैं।