शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था, नौनिहालों की जान पर पड़ रही भारी
उत्तरकाशी के दशगी पट्टी अंतर्गत करीब 50 किमी दूर राजकीय प्राथमिक विद्यालय कपराड़ा के जीर्णशीर्ण स्कूल भवन में नौनिहाल बल्लियों के सहारे अक्षर ज्ञान बांच रहे हैं।
चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी [जेएनएन]: सीमांतवर्ती जिले में शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था प्रणाली नौनिहालों की जान पर भारी पड़ रही है। जीर्णशीर्ण स्कूल में नौनिहाल बल्लियों के सहारे अक्षर ज्ञान बांच रहे हैं। मामला संज्ञान में होने के बावजूद शासन-प्रशासन इसकी अनदेखी कर रहा है। आलम यह है कि स्कूल में हल्की बारिश और हवा के झोकों से बच्चे डर रहे हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
दशगी पट्टी अंतर्गत करीब 50 किमी दूर राजकीय प्राथमिक विद्यालय कपराड़ा पड़ता है। वर्ष 1994 में इस स्कूल भवन का निर्माण हुआ था। जिसमें कपराड़ा और दिवारीधार के करीब 27 नौनिहाल अध्ययनरत है। शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था प्रणाली के कारण कुछ वर्षों के बाद ही स्कूल जीर्णशीर्ण हो गया।
स्कूल मरम्मत के लिए शासन से बजट स्वीकृत नहीं हुआ तो खानापूर्ति के लिए स्कूल में शिक्षकों ने झूल रही छतों की बल्लियों को रोकने के लिए उसपर लकड़ी के टेक लगाने शुरू कर दिए। आलम यह है कि भवन का मरम्मत होने के बजाय एक के बाद एक लकड़ी के टेक को बदला जा रहा है। यह लकड़ी के टेक कब नौनिहालों की सुरक्षा करेगा यह कोई नहीं जानता। स्कूल के प्रधानाचार्य सचिदानंद सेमल्टी ने बताया कि विभाग को इस समस्या की लिखित रिपोर्ट दी जा चुकी है, परन्तु अभी तक विद्यालय जीर्णशीर्ण है।
स्थानीय ग्रामीण मुलायम सिंह नेगी ने बताया कि वर्ष 1994 में स्कूल भवन बना था, अब इस विद्यालय की स्थिति दयनीय हो रखी है, उन्होंने कहा कि इसकी बल्लियां सड़ चुकी है, कब वह नीचे गिर जाए इसकी किसी को जानकारी नहीं है। मुख्य शिक्षाधिकारी रमेशचंद्र आर्य ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं है, यदि ऐसा है तो जल्द ही इस ओर उचित कार्यवाही कर भवन निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
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